ek purani ghadi ki atmakatha in hindi
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मैं एक सुंदर लाल रंग की घड़ी हूँ। मेरा जन्म एक घड़ी की फैक्ट्री में हुआ। मुझे बनाने वाले ने मुझे बड़े प्यार से बनाया। उसने मुझे एक बहुत सुंदर रूप दिया। फिर उसने मुझे एक दुकान में रख दिया। दुकान में मैं एक शीशे के शोकेस में रहती थी। सब ग्राहक मुझे देखकर मोहित हो जाते थे। परन्तु मेरा दाम ज्यादा था इसलिए वे मुझे खरीद नहीं पाते थे।
एक दिन दुकान में एक धनी आदमी आया। उसने मुझे खरीद लिया और अपने घर ले गया। उसकी पत्नी और उसके बच्चे भी मुझे बहुत पसंद करते थे। उनका सबसे छोटा बेटा, शोमू मुझे अत्यधिक प्यार करता था। वह मुझे अपने तकिये के पास रखता था। जब मैं अलार्म की घंटी बजाती थी तब उसे बड़ा मज़ा आता था। वह सबेरे मेरी घंटी सुनकर उठता था। शाम को मेरी घंटी सुनकर खेल कूद छोड़कर पढ़ाई करने बैठता था।
एक दिन गलती से मैं उसके हाथ से गिर गयी। मेरा शीशा टूट गया। वह बहुत रोया पर उसके पिता ने मुझे एक कबाड़ीवाले को बेच दिया। तबसे मैं उसके पास रहती हूँ। अब मैं बूढ़ी हो गयी हूँ पर अभी भी सब लोग मेरी अलार्म की घंटी सुनकर काम शुरू करते हैं और खुश होते हैं।