Ek Raja Ladai Mein harna
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एक दिन उदास होकर राजा गुफा मे लेटा हुआ था। तभी उसका ध्यान एक छोटी-सी मकड़ी की ओर गया। वह गुफा की छत के एक कोने मे जाला बुनने का प्रयत्न कर रही थी। वह सरपट दीवार पर चढ़ती। बीच में जाले का कोई धाागा टूटता और वह जमीन पर आ गिरती। बार-बार यही होता रहा पर मकड़ी हिम्मत नहीं हारी। वह बार-बार प्रयास करती रही। आखिरकार जाला बुनते-बुनते वह छत तक पहुँचने मे सफल हो गयी। उसने पूरा जाला बुन-कर तैयार कर दिया। राजा ने सोचा, “यह रेंगनेवाली नन्ही-सी मकड़ी बार-बार असफल होती रही, लेकिन इसने प्रयास करना नही छोड़ा। मैं तो राजा हूँ। फिर मैं प्रयास करना क्यों छोड़ दूँ। मुझे फिर से प्रयत्न करना चाहिए।“ उसने दुश्मन से एक बार फिर युद्ध करने का निश्चय किया।
राजा जंगल से बाहर निकलकर अपने विश्वासपात्र सहयोगियों से मिला। उसने अपने राज्य के शूर-वीरो को एकत्र किया। और शक्तिशाली सेना खड़ी की। उसने पूरी ताकत से दुश्मन पर चढ़ाई कर दी।
वह वीरता पूर्वक लड़ा। आखिरकार उसकी विजय हुई। उसे अपना राज्य वापस मिल गया। राजा उस मकड़ी को जिंदगी भर नही भूल सका, जिसने उसे सदा प्रयास करते रहने का सबक सिखाया था।
शिक्षा -असफलताओ से जूझनेवालों को एक दिन सफलता अवश्य मिलती है।
Answer:
एक समय की बात है. स्कॉटलैंड में रॉबर्ट ब्रूस (Robert Bruce) नाम का राजा राज करता था. उसके राज्य में खुशहाली और शांति थी. प्रजा उसका बहुत सम्मान करती थी.
एक बार इंग्लैंड के राजा ने स्कॉटलैंड पर आक्रमण कर दिया. दोनों राज्यों के मध्य घमासान युद्ध हुआ. उस युद्ध में राजा ब्रूस की पराजय हुई और स्कॉटलैंड पर इंग्लैंड का कब्ज़ा हो गया.
राजा ब्रूस किसी भी तरह अपना राज्य वापस प्राप्त करना चाहता था. उसके अपने सैनिकों को एकत्रित किया और इंग्लैंड पर आक्रमण कर दिया. पुनः युद्ध हुआ. लेकिन उस युद्ध में भी उसे पराजय का मुँह देखना पड़ा.
राजा ब्रूस ने १४ बार इंग्लैंड पर आक्रमण किया, किंतु अपना राज्य वापस प्राप्त करने में असमर्थ रहा. १४वें युद्ध में पराजय के बाद उसके सैनिकों और प्रजा का उस पर से विश्वास उठ गया. वह बुरी तरह टूट गया और भागकर एक पहाड़ी पर जाकर बैठ गया.
थका, हताश और उदास वहाँ बैठा वह सोच रहा था कि अब वह कभी अपना राज्य वापस प्राप्त नहीं कर पायेगा. तभी उसकी दृष्टि एक मकड़ी पर पड़ी, जो एक पेड़ के ऊपर जाला बनाने का प्रयास कर रही थी.
वह पेड़ के तने से चढ़कर ऊपर पहुँचती और जाला बनाने का प्रयास करती, लेकिन गिर पड़ती. किंतु वह फिर उठती और फिर पेड़ पर चढ़ने लगती. राजा ब्रूस मकड़ी को ध्यान से देखने लगा. २० बार मकड़ी गिर चुकी थी, कभी पेड़ पर चढ़ते हुए, तो कभी ऊपर जाला बनाते हुए.
वह सोचने लगा कि अब तो मकड़ी ले किये पेड़ के ऊपर जाला बनाना असंभव है. शायद अब वह पेड़ पर चढ़ने का प्रयास छोड़ देगी. किंतु ऐसा नहीं हुआ, मकड़ी पुनः उठी और पेड़ पर चढ़ने लगी. इस बार वह नहीं गिरी और ऊपर पहुँचकर जाले का निर्माण पूर्ण कर लिया.
यह देखकर राजा ब्रूस चिल्ला उठा, “मुझे तो मात्र १४ बार असफलता का सामना करना पड़ा है. अभी तो ७ अवसर शेष है.”
वह उठा और अपने सैनिकों को फिर से एकत्रित किया. उसके आत्मविश्वास को देखकर सैनिकों और प्रजा का भी उस पर विश्वास जागृत हो गया.
इस बार राजा ब्रूस इंग्लैंड से इस तरह लड़ा कि इंग्लैंड को मुँह की खानी पड़ी.
सीख – मित्रों इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि किसी कार्य में एक या दो बार असफल हो जाने पर हमें निराश होकर प्रयास करना नहीं छोड़ देना चाहिए. प्रयास करना छोड़ देना ही वास्तविक असफ़लता है. निरंतर प्रयास से कठिन से कठिन लक्ष्य भी प्राप्त किया जा सकता है. इसलिये हार माने बिना लक्ष्य प्राप्ति के लिए डटे रहें.