Political Science, asked by jain89071gmailcom, 11 months ago

Ek rupaye ke note Mein Kiska signature rahata hai​

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Answered by joybiswas1000000
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भारतीय रुपया (प्रतीक-चिह्न: Indian Rupee symbol.svg; कोड: INR) भारत की राष्ट्रीय मुद्रा है। इसका बाज़ार नियामक और जारीकर्ता भारतीय रिज़र्व बैंक है। नये प्रतीक चिह्न के आने से पहले रुपये को हिन्दी में दर्शाने के लिए 'रु' और अंग्रेजी में Re. (१ रुपया), Rs. और Rp. का प्रयोग किया जाता था।

भारतीय रुपया

वर्तमान समय में प्रचलित भारतीय बैंक नोट

वर्तमान समय में प्रचलित भारतीय बैंक नोट

आईएसओ 4217 कोड

INR

Flag of India.svg भारत

मुद्रास्फीति

१०.७ %

स्रोत

सीआइए, २००९ अनुमान

उप इकाई

१/१००

पैसा

प्रतीक

Indian Rupee symbol.svg

पैसा

पै

सिक्के

२५ पैसा, ५० पैसा, १ रुपया, २ रुपया, ५ रुपया और १० रुपया

बैंकनोट

१ रुपया, २ रुपया, ५ रुपया, १० रुपया, २० रुपया, ५० रुपया, १०० रुपया, २०० रुपया, ५०० रुपया, १,००० रुपया और २००० रुपया

केन्द्रीय बैंक

भारतीय रिज़र्व बैंक (एक रुपए की नोट को छोड़कर)

आधुनिक भारतीय रुपये को १०० पैसे में विभाजित किया गया है। सिक्कों का मूल्य ५, १०, २०, २५ और ५० पैसे है और १, २, ५ और १० रुपये भी। बैंकनोट ५, १०, २०, ५०, १००, २००, ५००, १००० और २००० के मूल्य पर हैं।

अनुक्रम

नामकरण

भारत में प्रयुक्त शब्द

भारत के अधिकांश भागों में रुपये को इन नामों से जाना जाता है: हिन्दी में रुपया, गुजराती (રૂપિયો) में रुपियो, तेलुगू (రూపాయి), तुलू भाषा (ರೂಪಾಯಿ) और कन्नड़ (ರೂಪಾಯಿ) में रूपाइ, तमिल (ரூபாய்) में रुबाइ, मलयालम (രൂപ) में रूपा, मराठी (रुपये) में रुपये या संस्कृत से निकले अन्य शब्द जैसे रूप्यकम्, रूप्यकं इत्यादि।[1] संस्कृत में रौप्य का अर्थ होता है चाँदी; रूप्यकं का अर्थ होता है चाँदी का सिक्का। हालांकि पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, मिज़ोरम, उड़ीसा और असम में रुपये को आधिकारिक रूप से संस्कृत के तनक नाम से जाना जाता है। इसलिए रुपये को बंगाली में टका (টাকা), असमिया में तोका (টকা) और उड़िया में टन्का (ଟଙ୍କା) के नाम से जाना जाता है और रोमन अक्षर 'T' से भारतीय बैंकनोटों में दर्शाया जाता है।

आधिकारिक प्रतीक-चिह्न

मुख्य लेख: भारतीय रुपया चिह्न

भारतीय रुपये का आधिकारिक प्रतीक-चिह्न

चित्र:Indische Rupie.jpg

भारतीय रुपये

भारतीय मुद्रा के लिए एक आधिकारिक प्रतीक-चिह्न दिनांक १५ जुलाई, २०१० को चुन लिया गया है जिसे आईआईटी, गुवाहाटी के प्रोफेसर डी. उदय कुमार ने डिज़ाइन किया है।[2] अमेरिकी डॉलर, ब्रिटिश पाउण्ड, जापानी येन और यूरोपीय संघ के यूरो के बाद रुपया पाँचवी ऐसी मुद्रा बन गया है, जिसे उसके प्रतीक-चिह्न से पहचाना जाएगा। इसके लिए एक राष्ट्रीय प्रतियोगिता आयोजित की गई थी।[3] इसके अन्तर्गत सरकार को तीन हज़ार से अधिक आवेदन प्राप्त हुए थे।[4] रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर की अध्यक्षता में गठित एक उच्चस्तरीय समिति ने भारतीय संस्कृति और भारतीय भाषाओं के साथ ही आधुनिक युग के बेहतर सामंजस्य वाले इस प्रतीक को अंतिम तौर पर चयन करने की सिफारिश की थी। इसे यूनीकोड मानक में शामिल करने हेतु आवेदन कर दिया गया है।[5] इस चिह्न को यूनीकोड में U+20A8 पर स्थान मिलेगा, जो पहले ही रुपये के Rs जैसे दिखने वाले चिह्न के लिए आवंटित है।[6] फिलहाल इस चिह्न को कम्प्यूटर पर मुद्रित करने के लिये कुछ नॉन-यूनिकोड फॉण्ट बनाये गये हैं।[7][8]

इतिहास

रुपया शब्द का उद्गम संस्कृत के शब्द रुप् या रुप्याह् में निहित है, जिसका अर्थ चाँदी होता है और रूप्यकम् का अर्थ चाँदी का सिक्का है।

रुपया शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम शेर शाह सूरी ने भारत मे अपने शासन १५४०-१५४५ के दौरान किया था। शेर शाह सूरी ने अपने शासन काल में जो रुपया चलाया वह एक चाँदी का सिक्का था जिसका भार १७८ ग्रेन (११.५३४ ग्राम) के लगभग था। उसने तांबे का सिक्का जिसे दाम तथा सोने का सिक्का जिसे मोहर कहा जाता था, को भी चलाया।

कालांतर में मुगल शासन के दौरान पूरे उपमहाद्वीप में मौद्रिक प्रणाली को सुदृढ़ करने के लिए तीनों धातुओं के सिक्कों का मानकीकरण किया गया।

शेर शाह सूरी के शासनकाल के दौरान आरम्भ किया गया 'रुपया' आज तक प्रचलन में है। भारत में ब्रिटिश राज के दौरान भी यह प्रचलन में रहा, इस दौरान इसका भार ११.६६ ग्राम था और इसके भार का ९१.७ प्रतिशत तक शुद्ध चाँदी थी। १९वीं शताब्दी के अंत में रुपया प्रथागत ब्रिटिश मुद्रा विनिमय दर, के अनुसार एक शिलिंग और चार पेंस के बराबर था वहीं यह एक पाउण्ड स्टर्लिंग का १/१५ भाग था।

१९वीं सदी मे जब दुनिया में सबसे सशक्त अर्थव्यवस्थाएं स्वर्ण मानक पर आधारित थीं तब चाँदी से बने रुपये के मूल्य में भीषण गिरावट आई। संयुक्त राज्य अमेरिका और विभिन्न यूरोपीय उपनिवेशों में विशाल मात्रा में चाँदी के स्रोत मिलने के परिणामस्वरूप चाँदी का मूल्य सोने के अपेक्षा बहुत गिर गया। अचानक भारत की मानक मुद्रा से अब बाहर की दुनिया से अधिक खरीद नहीं की जा सकती थी। इस घटना को 'रुपये की गिरावट' के रूप में जाना जाता है।

पहले रुपया (११.६६ ग्राम) १६ आने या ६४ पैसे या १९२ पाई में बाँटा जाता था। रुपये का दशमलवीकरण १९५७ में भारत मे, १८६९ में सीलोन (श्रीलंका) में और १९६१ में पाकिस्तान में हुआ। इस प्रकार भारतीय रुपया १०० पैसे में विभाजित हो गया। भारत में पैसे को पहले नया पैसा नाम से जाना जाता था। भारत में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मुद्रा जारी की जाती है, जबकि पाकिस्तान में यह स्टेट बैंक आफ़ पाकिस्तान के द्वारा नियंत्रित होता है।

भारतीय बैंक नोटों की सुरक्षा विशेषताएँ

ईस्ट इण्डिया कम्पनी द्वारा प्रचालित २ मोहर

चित्र:1 rupee bill historical.jpg

भारतीय १ रुपये का नोट

वाटरमार्क

सुरक्षा धागा

अप्रकट छवि

सूक्ष्मलेखन

उत्कीर्णन

पहचान चिह्न

प्रतिदीप्ति

प्रकाश में परिवर्तनीय स्याही

अंकन को समझझना

जालसाजी के विरूद्ध विधिक प्रावधान

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