Hindi, asked by imtyajansari965, 26 days ago

एक आदर्श patrakaar lakhan​

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Answered by Anonymous
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मेरे ही जैसे विश्वभर में उनके अनेकों प्रशंसक हैं। हम सभी उन्हें प्यार से मास्टर ब्लास्टर पुकारते हैं। अपने अच्छे व्यवहार के लिए वे मुझ जैसे युवाओं के आदर्श बन गए हैं। ... मैं भी नित्य क्रिकेट का अभ्यास करता हूँ और एक दिन सचिन तेंदुलकर की तरह एक बेहतरीन खिलाड़ी बनकर अपने देश, समाज व माता-पिता का नाम रोशन करूँगा।

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Hope it's helpful please mark as brainliest ☺️

Answered by pkumarishaw
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Answer:

1826 ई. से 1873 ई. तक को हम हिंदी पत्रकारिता का पहला चरण कह सकते हैं। 1873 ई. में भारतेन्दु ने "हरिश्चंद्र मैगजीन" की स्थापना की। एक वर्ष बाद यह पत्र "हरिश्चंद्र चंद्रिका" नाम से प्रसिद्ध हुआ। वैसे भारतेन्दु का "कविवचन सुधा" पत्र 1867 में ही सामने आ गया था और उसने पत्रकारिता के विकास में महत्वपूर्ण भाग लिया था; परंतु नई भाषाशैली का प्रवर्तन 1873 में "हरिश्चंद्र मैगजीन" से ही हुआ। इस बीच के अधिकांश पत्र प्रयोग मात्र कहे जा सकते हैं और उनके पीछे पत्रकला का ज्ञान अथवा नए विचारों के प्रचार की भावना नहीं है। "उदन्त मार्तण्ड" के बाद प्रमुख पत्र हैं :

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