[एक बार भगवान बुद्ध का एक प्रचारक घूम रहा
था! उसे एक भिखारी मिला! वह प्रचारक उसे धर्म
का उपदेश देने लगा !उस भिखारी ने उसकी तरफ
ध्यान नहीं दिया! उसमें उसका मन ही नहीं लगा।
प्रचारक नाराज हुआ। वह बुद्ध के पास जाकर
बोला-"वहां एक भिखारी बैठा है, मैं उसे इतने
अच्छे-अच्छे सिखावन दे रहा था, तो भी वह सुनता
ही नहीं है।" बुद्ध ने कहा,' उसे मेरे पास लाओ!' वह
प्रचारक उसे बुद्ध के पास ले गया! भगवान बुद्ध ने
उसकी दशा देखी! उन्होंने ताड़ लिया कि भिखारी
तीन-चार दिनों से भूखा है! उन्होंने उसे पेट भर कर
खिलाया और कहा,' अब जाओ!' प्रचारक ने कहा
"आपने उसे खिला तो दिया, लेकिन उपदेश कुछ
भी नहीं दिय। ' भगवान बुद्ध ने कहां," आज उसके
लिए अन्न ही उपदेश था। आज उसे अन्न की सबसे
ज्यादा जरूरत था वह उससे पहले देना चाहि।
अगर वह जिएगा तो कल सुनेगा।
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