एक बहुपद के एक से अधिक शून्यक हो सकते हैं।
एक शून्यक हाता है।
प्रश्नावली 2.2
1.
r=
30
(i)x=-1
(m)x=2
2.
(i) P(v) =y-y+1
(ii) Pt.x)=x
(ii) p(1) = 2+t+27-1
(iv) p(x) = (x-1) (x+1)
है
के
शून्यक
1
। शून्यक
न सकता
(1) p(x) =3x+1; x = =
3
(m) p(x) =r-1; x = 1, -1
4
(i) p(x) =D5x-x=
5
(iv) p(x) = (x+ 1) (x-2), x=-1,2
ल करना।
(v) p(a) =r: x=0
(vi) p(x)=r+m,x
न
1 2
(vii) p(x) = 3r-1: x=
5
(viil) p(x)= 2+1; =
px
2
निम्नलिखित स्थितियों में से प्रत्येक स्थिति में बहुपद का शून्यक ज्ञात कीजिए :
(ii) p(x) =x-5
(iii) pta) = 21+5
(v) p(x)= 3x
(vi) pfr) =Dara%30
और केवल
4.
(10px=x+5
(iv) pa)=3x-2
का केवल
(vii) ptx) = cx hd; c+ 0, C, d वास्तविक संख्याएँ हैं।
निम्नलिखित पर बहुपद 5x-4x +3 के मान ज्ञात कीजिए:
निम्नलिखित बहुपदों में से प्रत्येक बहुपद के लिए p(0), p(I) और p(2) ज्ञात कीजिए :
3. सत्यापित कीजिए कि दिखाए गए मान निम्नलिखित स्थितियों में संगत बहुपद
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व्यंजक (1) (x) का बहुपद है और (2) x, y z, का तथा उसमें (a) अचर (constant) है। यदि (x) के स्थान में सर्वत्र कोई अन्य व्यंजक मान लें, log x रख दिया जाए, तो नया व्यंजक log x का व्यंजक कहलाएगा। पदों के घातों में से महत्तम को बहुपद का घात (डिग्री) कहते हैं। यदि एक से अधिक चर राशियाँ हों, तो विभिन्न पदों में चर राशियों के घातों के योगफलों में से महत्तम को बहुपद का घात कहते हैं। इस प्रकार बहुपद (1) का घात 4 है और (2) का 7। ऐसा भी कहा जाता है कि बहुपद (2) (x) में छठे घात का और (y) में द्वितीय घात का है।
दो बहुपदों का योगफल, अंतर और गुणनफल बहुपद ही होता है, किंतु उनका भागफल बहुपद नहीं होता। दो बहुपदों के भागफल को, जिनमें एक संख्या मात्र भी हो सकता है, परिमेय फलन (rational function) कहते हैं। चर (x) में घात (m) का व्यापक बहुपद यह है :
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