एकाएक फिर से बस रुक जा रुक जाने पर लेखक को गिलानी क्यों हो रही थी तथा वह क्या कल्पना कर रहे थे
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एकाएक फिर से बस रुक जा रुक जाने पर लेखक को गिलानी क्यों हो रही थी तथा वह क्या कल्पना कर रहे थे?
बस की यात्रा हरिशंकर परसाई जी द्वारा लिखी गई है| इस पाठ में कवि ने यातायात की दुर्व्यवस्था का वर्णन किया गया है|
एकाएक फिर से बस रुक जा रुक जाने पर लेखक को गिलानी क्यों हो रही थी क्योंकि बस की हालत देखकर लेखक को हंसी आती है वह कहते है बस तो पूजा जरने के योग्य है| लेखक को डर लग रहा था कि । 'अगर इसका प्राणांत हो गया तो इस बियाबान में हमें इसकी अंत्येष्टि करनी पड़ेगी। ... यदि खटारा बस सुनसान रास्ते पर चलते - चलते अचानक खराब हो गई तो यात्रियों को बड़े संकट का सामना करना पड़ेगा।| लेखक को बस के एक भी हिस्से पर विश्वास नहीं थी |
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