एक फूल की चाह कविता का मूल भाव अपने शब्दों में लिखिए तथा यह भी स्पष्ट कीजिए कि यह कविता आप को किस प्रकार प्रभावित करती है
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✎... ‘एक फूल की चाह’ कविता ‘सियाराम शरण गुप्त’ द्वारा लिखी गई एक भावात्मक कविता है। इस कविता में एक पिता और एक पुत्री के बीच संबंध को दर्शाया गया है। एक नन्ही सी बच्ची जिसे सामने पहाड़ी पर देवी माँ के मंदिर में खिलने वाले एक फूल की चाह है। लेकिन चारों तरफ महामारी फैली हुई है और उसका पिता उस बच्ची को बाहर जाने से रोकता है कि कहीं उस पर भी महामारी का असर ना हो जाए, लेकिन बच्ची नहीं मानती और एक दिन महामारी की चपेट में आ जाती है। उसका पिता उसे बचाने के लाख उपाय करता है, लेकिन बच्ची बच नहीं पाती। उस बच्ची के मन में देवी माँ के मंदिर के उस फूल की चाह थी, और उसका पिता वो फूल लाने का प्रयत्न भी करता है, लेकिन सफल नही हो पाता और बच्ची उससे पहले ही मृत्यु को प्राप्त हो जाती है।
ये कविता हमें छूत-अछूत की कुरीतियों से अवगत कराती है, और हमारे मन को झंझोड़ती है कि हम आज भी ऐसे समाज में रह रहे हैं, जहाँ भगवान के घर में भगवान के बनाये इंसानों के साथ भेदभाव किया जाता है। एक नन्ही बच्ची की देवी माँ के मंदिर के फूल को पाने की चाह बेहद मर्मस्पर्शी जान पड़ती है।
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