एक गाॉ – गाॉ के फाहय यास्ते ऩय एक स्कू र – द्ध द्यालथामों का ऩढने आना – एक द्ध द्याथी का
ऩयीऺा भें ोयी कयने का इयादा – ऩढाई भें ध्मान न देना – प्रथभ ऩयीऺा भें ोयी का भौका न
लभरना – अनुत्तीणा (पे र) होना – ऩछता ा होना – ोयी न कयने का सॊकलऩ – ऩढाई भें जुट जाना
– अच्छे अॊकों से उत्तीणा होना – जी न धन्म होना – ोयी न कयने का इनाभ ।
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पशु-पक्षियों से हमें बहुत लाभ होता है गाय भैंस बकरी आदि पशु हमें दूध देते हैं गाय का दूध तो माँ के दूध के
समान होता है मुरगी बतख आदि हमें अंडे देती हैं भेंड़ें हमें ऊन देती हैं जानवरों की खाल से भी कई तरह की
पोशाकें बनती हैं इनके चमड़े से जूते थैले आदि बनते हैं कुछ देशों में चिड़ियों के पंखों से लोग रजाई तकिए
आदि तैयार करते हैं। की दूषित व्यवस्था रिश्वत को प्रोत्साहन देती है। अल्प-वेतन में परिवार का व्यय न चलने पर कभी-कभी मन दुर्बलता उत्पन्न हो जाती है और सरकारी नौकर का ध्यान भी अनौतिक साधन रिश्वत की ओर चला जाता है। वह भली-भाँति जानता है कि रिश्वत लेना पाप है, पाप की कमाई फलती-फूलती नहीं फिर भी विवशता और लाचारी में फँस कर वह पाप कर बैठता है। यदि समाज में सबको जीवनयापन के लिए समान अधिकार प्राप्त हो तो रिश्वत जैसे अनैतिक कर्म को स्थान न मिले। खेद का विषय है कि आज हमारी मनोवृत्ति इतनी दूषित हो गई है कि रिश्वत की कमाई को पूरक-पेशा समझा जाने लगा है। समाज को इस भयंकर बीमारी से बचाना चाहिए।