एक घटना ऐसी हुई कि बंटवारे के दौरान मारकाट मचाने वाले एक सिख नौजवान ने हत्याकांड पर तुली हुई भीड़ को मनाकर
एक खबसूरत मुसलमान लड़की को अपने लिए माँग लिया। उन दोनों ने शादी कर ली और धीरे-धीरे एक-दूसरे से प्यार भी करने
लगे। लड़की के दिमाग से अपने मारे गए माता-पिता और पिछली जिंदगी की यादें क्रमशः धुंधली पड़ने लगी। वे एक-दूसरे के
साथ खुश थे और उनके एक बेटा भी हुआ पर जल्दी ही अपहृत औरतों का पता लगाकर उन्हें वापस लौटाने में लगन से जुटे
सामाजिक कार्यकर्ताओं और पुलिसवालों को उनकी भनक मिल गई। उन्होंने उस सिख के गृह जिले जालंधर में पूछ ताछ की।
उसे इसकी खबर मिल गई और परिवार के साथ कलकत्ता भाग निकला। सामाजिक कार्यकर्ता भी कलकत्ता पहुँच गए इस बीच
उसके मित्रों ने अदालत से स्टे ऑर्डर लेने की कोशिश की पर कानून अपनी ही भारी भरकम चाल से चल रहा था। कलकत्ता से
यह जोड़ा इस उम्मीद में पंजाब के किसी अनजान से गाँव को भागा कि पीछा करने वाली पुलिस वहाँ नहीं पहुँच सकेगी। लेकिन
पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया और पूछ-ताछ करने लगी। उसकी पत्नी फिर से गर्भवती हो गई थी और बच्चे का जन्म नज़दीक ही
था। उस सिख ने अपने छोटे-से बेटे को तो अपनी माँ के पास भेज दिया और खुद अपनी पत्नी को गन्ने के खेत में ले गया। वहाँ
एक गड्ढे में उसने अपनी पत्नी को यथा संभव आराम से लिटा दिया और खुद पुलिस की राह देखते हुए एक बंदूक लेकर लेट
गया। उसने ठान रखी थी कि जीते-जी वह अपनी पत्नी को अपने से अलग न होने देगा। उस गड़े में ही उसने अपने हाथों से पत्नी
की जचगी कराई। अगले दिन उसकी पत्नी को तेज बुखार आ गया और तीन दिन में वह मर गई। पति उस अस्पताल ले जाने की
हिम्मत न कर सका। क्योंकि वह डरता था कि सामाजिक कार्यकर्ता और पुलिस उस उससे छीन लगे।
1. बँटवारे के कारण औरतों को किस प्रकार के शर्मनाक कृत्यों का सामना करना पड़ा?
2. आप उपर्युक्त अनुच्छेद से किस प्रकार के मानवीय मूल्य ग्रहण कर सकते हैं?
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thanks for giving me free point
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