एक हाथ में न्याय-पताका,
ज्ञान-दीप दूसरे हाथ में,
जग का रूप बदल दे, हे माँ,
कोटि-कोटि हम आज साथ में।
गूंज उठे जय-हिंद नाद से -
सकल नगर और ग्राम,
मातृ-भू, शत-शत बार प्रणाम ।
bhavarth
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very nice poem lines✍️✍️✍️✍️✍️
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very inspiring poem
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