एक कोरोना पिडीत की आत्मकथा could you please help me writing essay on above subject in hindi
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Explanation:
नर्सिंग में दाखिला लेने के पश्चात इसकी परिभाषा तथा बारीकियों को मैं समझ पाया। इस पेशे का मूल उद्देश्य मानव जाति की सेवा के लिए स्वयं को समर्पित करना ही हमारा कर्तव्य है। प्रशिक्षण पूरा होते ही मेरी पदस्थापना एक अस्पताल में हुई। वहां मुझे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा क्योंकि मुझ में किताबी ज्ञान तो था परंतु व्यवहारिक जीवन में उसे उपयोग में लाने का अनुभव नहीं था। मरीज की सेवा का जो उत्तरदायित्व मैंने लिया था उसे भी बखूबी निभाना था। बहरहाल, दृढ़संकल्प कि अटूट डोर को थामे मैं सभी चुनौतियों को पार करता गया।
हमेशा इसी कोशिश में रहता कि मुझसे या मेरे व्यवहार से किसी को कोई शिकायत ना हो। नर्स के लिए रोगी की मनोदशा को समझना एवं उसके अनुरूप ही उससे व्यवहार करना इस पेशे की सबसे बड़ी अनिवार्यता होती है। अस्पताल में कई प्रकार के मरीज आते हैं। उनके मन में किसी ना किसी प्रकार का भय समाया रहता है। किसी को इंजेक्शन, तो किसी को डॉक्टर से, किसी को दवाओं से, तो किसी को मरने से डर लगता है। ऐसे में हमारा नम्र एवं आत्मीय व्यवहार उन्हें सुकून प्रदान करता है। हमारे सहानुभूतिपूर्ण शब्दों से तो उनके आधे रोग यूं ही भाग जाते हैं।