एक क्षण का विराम नहीं है।" श्न 25-निम्नलिखित पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या बानी जगरानी की उदारता बरवानी जाइ, ऐसी मति उदित उदार कौन की भई। देवता प्रसिद्ध सिद्ध रिषिराज तपबृद्ध, कहि-कहि हारे सब कहि न काहू लई ।"
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ugzlufzyzulfho dydg is foyf
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