एक कहानी यह भी कि लेखिका मन्नू भंडारी के पिता ने रसोई को ‘भटियार खाना’ कहकर क्यों संबोधित किया है? यह उनकी किस सोच का परिचायक है?
(cbse class 10 HINDI A question paper 2012)
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लेखिका के पिता ने रसोई को भटियारखाना इसलिए कहा है ,क्योंकि उनका विश्वास था कि भटियारखाना यानी रसोई घर में जहां हमेशा भट्टी तपती रहती है ,वहां पर मनुष्य की प्रतिभा का विकास न होकर केवल दमन ही होता है अर्थात व्यक्ति की क्षमता भट्टी में झोंक दी जाती है ।वह केवल खाना बनाने और खिलाने तक ही रह जाती है। इसका दूसरा अर्थ है कि भटियारे का घर जहां असभ्य लोगों का जमघट होता है, जो केवल शोरगुल करते रहते हैं। प्रतिभावान लड़कियों को रसोई के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए।
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लेखिका के पिता ने रसोई को भटियारखाना इसलिए कहा है ,क्योंकि उनका विश्वास था कि भटियारखाना यानी रसोई घर में जहां हमेशा भट्टी तपती रहती है ,वहां पर मनुष्य की प्रतिभा का विकास न होकर केवल दमन ही होता है अर्थात व्यक्ति की क्षमता भट्टी में झोंक दी जाती है । वह केवल खाना बनाने और खिलाने तक ही रह जाती है।
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