एक मुर्गा आता है, चल चल कर रुक जाता है
चाकू लाओ गर्दन काटे, फिर चलने लग जाता है।
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पेंसिल होती है जो चल चल कर रुक जाती है
फिर उस छीलते है
फिर से चलने लगती है
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एक मुर्गा आता है, चल चल कर रुक जाता हैचाकू लाओ गर्दन काटे, फिर चलने लग जाता है।
इस पहेली का हल है - पेंसिल।
- पेंसिल को हम नई पहली बार जब बाज़ार से खरीदकर लाते है तो उसमें नोक नहीं होती। हम उस छीलकर अथवा धार लगाकर उसकी नोक निकालते है। यहां मुर्गा पेंसिल को कहा गया है
- इस प्रकार नुकीली नोक वाली पेंसिल से हम लिखते है , हम लिखते जाते है और जितना लिखते गई है पेंसिल की नोक घिसती चली जाती है फिर अंत में चलते चलते पूरी घिस जाती है तब हम उस पेंसिल की सहायता से लिख नहीं पाते। इस प्रकार मुर्गा चलते चलते रुक जाता है।
- चाकू लाओ गर्दन काटे इसका अर्थ है कि हम उस की धार वाली चीज से उसे फिर से निकला कर्वदीट है अर्थात उसकी गर्दन काटते हैं।
- पेंसिल को धार लगाने के बाद वह फिर से नुकीली हो जाती है व फिर चलने लग जाती है अर्थात हम फिर से लिख सकते है ।
- पेंसिल कंपनियों के उदाहरण - कैमलिन, नटराज, अप्सरा आदि।
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