एक मनुज संचित करता है, अर्थ पाप के बल से, और भोगता उसे दूसरा, भाग्यवाद के छल से। ( पद परिचय दीजिए )
कण- कण के अधिकारी पाठ - 5 दसवी कक्षा
Answers
Answered by
0
Answer:
भाग्यवाद के छल से। जो कुछ न्यस्त प्रकृति में है, वह मनुज मात्र का धन है, धर्मराज उसके कण
Similar questions