Sociology, asked by bawinaya8681, 10 months ago

एक मत है कि पूर्ण आर्थिक समानता न तो संभव है और न ही वांछनीय। एक समाज ज्यादा से ज्यादा बहुत अमीर और बहुत ग़रीब लोगों के बीच की खाई को कम करने का प्रयास कर सकता है। क्या आप इस तर्क से सहमत हैं? अपना तर्क दीजिए।

Answers

Answered by nikitasingh79
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Answer with Explanation:

हां, हम इस तर्क से सहमत हैं कि एक समाज में पूर्ण आर्थिक समानता न तो संभव है और न ही वांछनीय। एक समाज ज्यादा से ज्यादा बहुत अमीर और बहुत ग़रीब लोगों के बीच की खाई को कम करने का प्रयास कर सकता है। अंतर को कम करने के लिए गरीब वर्ग को विशेष आर्थिक सुविधाएं प्रदान की जा सकती हैं। उन्हें विकास के उचित अवसर प्रदान किए जा सकते हैं तथा संविधान के अंतर्गत उन्हें सरकारी शिक्षण संस्थाओं व नौकरियों में कुछ प्रतिशत आरक्षण भी दिया जा सकता है।  

आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।

इस पाठ से संबंधित कुछ और प्रश्न :  

कुछ लोगों का तर्क है कि असमानता प्राकृतिक है जबकि कुछ अन्य का कहना है कि वास्तव में समानता प्राकृतिक है और जो असमानता हम चारों ओर देखते हैं उसे समाज ने पैदा किया है। आप किस मत का समर्थन करते हैं? कारण दीजिए।  

https://brainly.in/question/11842667

 

 किसानों की समस्या से संबंधित एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार छोटे और सीमांत किसानों को। बाजार से अपनी उपज का उचित मूल्य नहीं मिलता। रिपोर्ट में सलाह दी गई कि सरकार को बेहतर मूल्य सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए। लेकिन यह प्रयास केवल लघु और सीमांत किसानों तक ही सीमित रहना चाहिए। क्या यह सलाह समानता के सिद्धांत से संभव है?  

https://brainly.in/question/11842657

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