एक मत है कि पूर्ण आर्थिक समानता न तो संभव है और न ही वांछनीय। एक समाज ज्यादा से ज्यादा बहुत अमीर और बहुत ग़रीब लोगों के बीच की खाई को कम करने का प्रयास कर सकता है। क्या आप इस तर्क से सहमत हैं? अपना तर्क दीजिए।
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Answer with Explanation:
हां, हम इस तर्क से सहमत हैं कि एक समाज में पूर्ण आर्थिक समानता न तो संभव है और न ही वांछनीय। एक समाज ज्यादा से ज्यादा बहुत अमीर और बहुत ग़रीब लोगों के बीच की खाई को कम करने का प्रयास कर सकता है। अंतर को कम करने के लिए गरीब वर्ग को विशेष आर्थिक सुविधाएं प्रदान की जा सकती हैं। उन्हें विकास के उचित अवसर प्रदान किए जा सकते हैं तथा संविधान के अंतर्गत उन्हें सरकारी शिक्षण संस्थाओं व नौकरियों में कुछ प्रतिशत आरक्षण भी दिया जा सकता है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।
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