एक नगर में दो streeya - एक ही बालक के लए davedaar – आपस में तकरार – मामला न्यायाधीश के पास – दोनों की बातें सुनना – न्याय करना – बालक के दो टुकड़े करके बााँट लो – एक स्त्री मौन – दसू री का रोना शुरू – बच्चे को न काटने की बबनती – न्याय – रोती हुई स्त्री को बालक देना – सीख |
Make a story from these points
No spamming
Answers
Answer:
Mark as brainliest if helpful
Explanation:
किसी नगर में एक नवयुवक रहता था जिसका नाम सुन्दर था। वह मेहनत करने से हमेशा बचता था। जब भी कोई काम उसके सामने आ जाता था जिसमें उसे मेहनत करनी हो, तो वह उस कार्य से दूर भागने लगता था। मेहनत को लेकर उसके मन में यह बात बैठ गयी थी कि वह कभी मेहनत नहीं कर सकता लेकिन उसके अंदर अच्छी बात यह थी कि वह अपने जीवन में सफल होना चाहता था। वह सोचता था क्या कोई ऐसा व्यक्ति है जो उसे सफलता का मंत्र दे सके। इस प्रश्न को लेकर वह बहुत से लोगों और विद्वानों के पास गया। कोई कहता था कि माता-पिता की सेवा करना सफलता का मंत्र है, तो कोई कहता था कि लोगों की मदद करना सफलता का मंत्र है। लेकिन किसी का भी उत्तर उसे संतुष्ट नहीं कर पाता था। एक दिन जब वह अपने नगर की एक सड़क से गुजर रहा था, तो उसने एक साधु को देखा जिसे एक बहुत बड़ी भीड़ ने घेर रखा था। उस साधु को उसने पहले कभी अपने नगर में नहीं देखा था। साधु के बारे में पूछने पर पता चला कि वे साधु लोगों के प्रश्नों के बहुत सटीक उत्तर देते हैं, आज तक कोई भी व्यक्ति उनके उत्तर से असंतुष्ट नहीं हुआ है। सुन्दर की आँखों में चमक आ गई। उसने सोचा कि क्यों न साधु से अपने प्रश्न का उत्तर जाना जाए। अगर उन्होंने मुझे सफलता का मंत्र बता दिया तो मैं जरूर सफल हो जाऊँगा। वह साधु के पास गया और उनसे पूछा