एक औपचारिक और अनौपचारिक पत्र
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संदिप पाठक, 5 नवीन, रामनगर, औरंगाबाद 451001 से अपने मित्र मनीष शर्मा, आगामी परीक्षा की तयारी के विषय में समझाकर लिखता है |
11 फरवरी 2019,
प्रिय मित्र मनीष,
सप्रेम नमस्कार,
बहुत दिनों से तुम्हारा पत्र मुझे नहीं मिला | आशा है की तुम मजे मै हो | यहॉ मै इन दिनों बाद सहामहाी परीक्षा आरंभ होने जा रही है | घुमना - फिरना बंद हो जाएगा | मित्रों से भी भेंट नही होती | मै विग्यान को अधिक समय देता हूँ, और मेरा गणित भी अच्छा है | फिर भी इसमे अच्छे अंको से पास कर जानेकी उम्मीद है | देखे क्या फल निकलता है |
तुम्हारी तैयारी का कैसा फल मिलता है, मुझे जरूर बताना | अपने माता - पिता को मैरा सादर प्रणाम कहना |
तुम्हरा मित्र
संदिप पाठक,
5 नवीन रामनगर,
औरंगाबाद -431001
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मुख्य रूप से पत्रों को निम्नलिखित दो
वर्गों में विभाजित किया जा सकता है -
(1) औपचारिक-पत्र
(2) अनौपचारिक-पत्र
औपचारिक पत्र
यह पत्र उन्हें लिखा जाता है जिनसे हमारा कोई निजी संबंध ना हो। औपचारिक पत्र लेखन में मुख्य रूप से संदेश, सूचना एवं तथ्यों को ही अधिक महत्व दिया जाता है। व्यवसाय से संबंधी, प्रधानाचार्य को लिखे प्रार्थना पत्र, आवेदन पत्र, सरकारी विभागों को लिखे गए पत्र, संपादक के नाम पत्र आदि औपचारिक-पत्र कहलाते हैं। औपचारिक पत्रों की भाषा सहज और शिष्टापूर्ण होती है। इन पत्रों में केवल काम या अपनी समस्या के बारे में ही बात कही जाती है।
औपचारिक पत्र लेखन के कुछ उदाहरण
Examples Of Formal Letter in Hindi
उदाहरण 1.
स्वास्थ्य खराब होने के कारण 2 दिन के अवकाश की प्रार्थना करते हुए प्रधानाचार्य को पत्र लिखें
परीक्षा भवन
सेवा में,
प्रधानाचार्य ,
सरस्वती पब्लिक स्कूल ,
नवाबी रोड , दिल्ली
दिनांक : XX जनवरी 20_ _
विषय : अवकाश प्राप्ति हेतु पत्र
श्रीमान ,
सविनय निवेदन इस प्रकार है कि मैं आपके विद्यालय में कक्षा 5 का छात्र हूं। महोदय कल शाम से मुझे तेज बुखार और खाँसी हो रही है। और मेरा पूरा बदन दर्द कर रहा हैं। जिस कारण में अगले 2 दिन तक स्कूल में उपस्थित नहीं हो पाऊंगा।अत: मुझे 2 दिन का अवकाश चाहिए।
अतः महोदय से निवेदन है कि आप मुझे दिनांक 10 जनवरी 2020 से 12 जनवरी 2020 तक दो दिन का अवकाश प्रदान करने की कृपा कीजिए ।
धन्यवाद
आपका आज्ञाकारी शिष्य
क.ख.ग.
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उदाहरण 2 .
बड़ी बहन के विवाह हेतु एक सप्ताह के अवकाश की प्रार्थना करते हुए प्रधानाचार्य को पत्र लिखें
परीक्षा भवन
सेवा में ,
प्रधानाचार्य ,
शिवालिक पब्लिक स्कूल
देहरादून
दिनांक : XX मार्च 20_ _
विषय : अवकाश प्राप्ति हेतु पत्र
श्रीमान ,
सविनय निवेदन इस प्रकार है कि मैं आपके विद्यालय मैं दसवीं का छात्र हूं। महोदय अगले सप्ताह मेरी बड़ी बहन का विवाह होना जा रहा है।अत: मुझे एक सप्ताह का अवकाश चाहिए।
महोदय आशा है आप मुझे दिनांक 20 मार्च 2020 से 27 मार्च 2000 20 तक का अवकाश प्रदान करने की कृपा करेंगे।
आपका आज्ञाकारी शिष्य
क.ख.ग.
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अनौपचारिक पत्र
यह पत्र उन लोगों को लिखा जाता है जिनसे हमारा व्यक्तिगत सम्बन्ध रहता है। अनौपचारिक पत्र अपने परिवार के लोगों को जैसे माता-पिता, भाई-बहन, सगे-सम्बन्धिओं और मित्रों को उनका हालचाल पूछने, निमंत्रण देने और सूचना आदि देने के लिए लिखे जाते हैं। इन पत्रों में भाषा के प्रयोग में थोड़ी ढ़ील की जा सकती है। इन पत्रों में शब्दों की संख्या असीमित हो सकती है क्योंकि इन पत्रों में इधर-उधर की बातों का भी समावेश होता है।
अनौपचारिक पत्र लेखन के कुछ उदाहरण
Examples Of Inormal Letter in Hindi
उदाहरण 1
अपने बड़े भाई के विवाह में अपने मित्र को आमंत्रित करते हुए पत्र लिखिए।
परीक्षा भवन
623 , सुभाष चंद्र बोस मार्ग ,
नई दिल्ली -1110036
दिनांक : 15 मई, 20_ _
प्रिय दोस्त अर्णव ,
मधुर स्नेह।
आशा है तुम स्वस्थ एवं प्रसन्न होंगे और अपने स्कूल की पढ़ाई में व्यस्त होंगे। दोस्त अर्णव मैं आज तुम्हें एक विशेष प्रयोजन से यह पत्र लिख रहा हूं। दरअसल मेरे बड़े भाई की शादी 15 मई 2019 को होनी निश्चित हुई है। शादी का कार्यक्रम दो दिवसीय है। अतः आप सपरिवार मेरे बड़े भाई की शादी में आमंत्रित हैं।
मैं आशा करता हूं कि तुम अपने परिवार के साथ मेरे बड़े भाई की शादी में सम्मिलित होने अवश्य आओगे। हम अपने अन्य दोस्तों के साथ मिलकर खूब मौज मस्ती करेंगे।इसीलिए तुम शादी में अवश्य आना। मुझे तुम्हारा इंतजार रहेगा।
तुम्हारा दोस्त
क.ख.ग
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उदाहरण 2.
अच्छी संगति का महत्व बताते हुए अपने छोटे भाई को पत्र लिखें।
परीक्षा भवन
985 /575 , सुभाष नगर,
नई दिल्ली
दिनांक : 30 जुलाई, 20_ _
प्रिय अनुज जयेश ,
सस्नेह आशीर्वाद।
तुम्हारा पत्र मिला। जिससे पता चला कि तुमने अभी-अभी एक नये विद्यालय में प्रवेश लिया है। और विद्यालय में नए होने के कारण वहां पर अभी तुम्हारा कोई भी मित्र नहीं बन पाया है। प्रिय जयेश , मित्र का चुनाव वास्तव में कठिन कार्य है। क्योंकि उसकी संगति का प्रभाव हमारे चरित्र पर आजीवन रहता है। इसीलिए बड़े ही सोच समझ व जांच परख कर तुम अपने मित्रों का चयन करना।
ऐसे सहपाठियों को मित्र के रूप में चुनना , जो तुम्हें सच्चा स्नेह करें , तुम पर विश्वास करें और तुम भी उन पर विश्वास कर सको। सबसे बड़ी बात कि उनका चरित्र साफ-सुथरा व उज्जवल हो। आशा है तुम मेरी इन बातों का ध्यान रखोगे और फिर शीघ्र ही अगले पत्र में मुझे अपने नए मित्रों के बारे में भी बताओगे।
मन लगाकर खूब पढ़ाई करना। सदैव अपने गुरुजनों का सम्मान करना और अपने सहपाठियों से स्नेह की भावना रखना। ईश्वर तुम्हारी रक्षा करें।
तुम्हारा बड़ा भाई
क.ख.ग