Hindi, asked by kannakikc08, 1 month ago

एक पंछी की अतमकाथा
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Answered by geethashaalugmailcom
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मैं एक चिड़िया हूं जिसे अक्सर आप आसमान में उड़ते हुए देखते होंगे और किसी डाल पर बैठकर मैं आपको बहुत अच्छी लगती हुंगी। मेरा जन्म आज से कुछ समय पहले हुआ था। उस वक्त मैं अपनी मां के साथ ही रहती थी और भोजन की व्यवस्था भी मेरी मां द्वारा ही की जाती थी।

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Answered by learnersubject80
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एक चिड़िया हूं जिसे अक्सर आप आसमान में उड़ते हुए देखते होंगे और किसी डाल पर बैठकर मैं आपको बहुत अच्छी लगती हुंगी। मेरा जन्म आज से कुछ समय पहले हुआ था। उस वक्त मैं अपनी मां के साथ ही रहती थी और भोजन की व्यवस्था भी मेरी मां द्वारा ही की जाती थी।मां मुझे घोंसले से बाहर जाने की अनुमति नहीं देती थी और हमेशा घोसले में ही रहने को कहती थी। पहले मुझे यह बात बहुत अजीब लगती थी कि मैं बाहर क्यों नहीं जा सकती। परंतु जैसे-जैसे मैं बड़े होने लगी, मुझे समझ में आने लगा कि मैं अपनी मां की तरह बाहर क्यों नहीं जा सकती हूं। 

बचपन में चंचल मन होने के कारण मेरा मन भी आकाश में उड़ने को बहुत करता था परंतु मां के आदेश के कारण मैं अपना मन मार लिया करती थी। मैं यह सोचती थी कि कब मैं भी और पंछियों की तरह आकाश में उड़ पाऊंगी और अपने बल पर भोजन को प्राप्त कर पाऊंगी।उपरोक्त सभी चीजों के बावजूद भी मेरा बचपन आज से कहीं ज्यादा अच्छा था। बचपन में मुझे कोई फिक्र नहीं थी। यहां तक कि भोजन की व्यवस्था कैसे होगी इस बात की फिक्र भी नहीं होती थी क्योंकि मुझे पूर्ण विश्वास था कि मेरी मां भोजन का कुछ ना कुछ इंतजाम कर देगी।

आज मैं उड़ तो सकती हूं और खुद भोजन की व्यवस्था भी करने में समर्थ हूं मगर फिर भी आज बचपन के जैसा आनंद नहीं आता। वो दिन ही कुछ और थे जब मैं बेफिक्र थी और अपने घोसले को छोड़ कर पूरी दुनिया को देखकर आकर्षित होती थी। आसमान मैं मेरे जैसे उड़ते पंछी मुझे इतना आकर्षित कर देते थे कि मैं अपने आप को दुनिया का सबसे बदकिस्मत जीव समझती थी। पर मुझे उस वक्त क्या पता था कि मैं ख्वाब में थी और स्वर्ग जैसा मां के आंचल में भी।

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