Hindi, asked by patelbinita79, 3 months ago

एक राजा थे। उनके -- विदूषक था। -- चालाक था- सिर्फ अच्छे-अच्छे चुटकुले - बल्कि शासन-की
सहायता-1
वह विदूषक ही- किस्से बनाकर -- था। एक दिन राजा को - अपमान महसूस हुआ। वे क्रोधित-बंदी बना
करकैदखाने-1
फाँसी--|--को दरबार में-- राजा उससे बोले- कोई अंतिम इच्छा--उसे-जाएगा।
विदूषक ने कहा-- बुढ़ापे की मौत मरूँ।” -- सुनकर राजा को हँसी--1-माफ-1- चालाकी से-बचा
ली।​

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Answered by Anonymous
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एक राजा थे। उनके दरबार में एक विदूषक था। वह बहुत चालाक था वह न सिर्फ अच्छे-अच्छे चुटकुले सुनाता था, बल्कि शासन के कार्यों में भी राजा की सहायता करता था। वह विदूषक कई बार तो राजा के ऊपर ही किस्से बनाकर सुना देता था। एक दिन राजा को उसकी किसी बात से अपना अपमान महसूस हुआ। वे क्रोधित होते हुए बोले, “सैनिको इस उदंड आदमी को बंदी बना कर कैदखाने में डाल दो। कल इसे फाँसी दी जाएगी।” अगले दिन विदूषक को दरबार में लाया गया। राजा उससे बोले,”तुम्हें जल्दी ही फाँसी दे दी जाएगी। यदि तुम्हारी कोई अंतिम इच्छा हो तो हमें बताओ?” उसे अवश्य ही पूरा किया जाएगा। यह सुनकर उस चालाक विदूषक ने कहा, “महाराज, मेरी अंतिम इच्छा है कि मैं बुढ़ापे की मौत मरूँ।” उसकी बात सुनकर राजा को हँसी आ गई। उन्होंने उसे माफ कर दिया। इस प्रकार चतुर विदूषक ने चालाकी से अपनी जिंदगी बचा ली।

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