Hindi, asked by hazarikajusna08, 1 month ago

एकार्थक शब्द लिखा-
(i) दूसरों से की जाने वाली प्रार्थना |
(ii) नैतिक नियमों का उलंघम।
(iii) खेती करने वाले।
(iv) जीवन का अवधि।
(v) दुसरों से आगे बढ़ने की इच्छा।
(vi) अभिनय करने वाली स्त्री।​

Answers

Answered by ranijoshi2576
0

Answer:

( अ )

अहंकार- मन का गर्व। झूठे अपनेपन का बोध।

अनुग्रह- कृपा। किसी छोटे से प्रसत्र होकर उसका कुछ उपकार या भलाई करना।

अनुकम्पा- बहुत कृपा। किसी के दुःख से दुखी होकर उसपर की गयी दया।

अनुरोध- अनुरोध बराबरवालों से किया जाता है।

अभिमान- प्रतिष्ठा में अपने को बड़ा और दूसरे को छोटा समझना।

अस्त्र- वह हथियार, जो फेंककर चलाया जाता है। जैसे- तीर, बर्छी आदि।

अपराध- सामाजिक कानून का उल्लंघन अपराध है। जैसे- हत्या।

अवस्था- जीवन के कुछ बीते हुए काल या स्थिति को 'अवस्था' कहते है। जैसे- आपको अवस्था क्या होगी ? रोगी की अवस्था कैसी है ?

आयु- सम्पूर्ण जीवन की अवधि को 'आयु' कहते है। जैसे -आप दीर्घायु हों। आपकी आयु लम्बी हो।

अपयश- स्थायी रूप से दोषी होना।

अधिक-आवश्यकता से ज्यादा। जैसे- बाढ़ में गंगा में जल अधिक हो जाता है।

अनुराग- किसी विषय या व्यक्ति पर शुद्धभाव से मन केन्द्रित करना।

आसक्ति- मोहजनित प्रेम को 'आसक्ति' कहते है।

अन्तःकरण- विशुद्ध मन की विवेकपूर्ण शक्ति।

आत्मा- जीवों में चेतन, अतीन्द्रिय और अभौतिक तत्व, जिसका कभी नाश नहीं होता।

अध्यक्ष- किसी गोष्ठी, समिति, परिषद् या संस्था के स्थायी प्रधान को अध्यक्ष कहते है।

अर्चना- धूप, दीप, फूल, इत्यादि, से देवता की पूजा।

अभिनन्दन- किसी श्रेष्ठ का मान या स्वागत।

आदि- साधारणतः एक या दो उदाहरण के बाद 'आदि' का प्रयोग होता है।

आज्ञा-आदरणीय या पूज्य व्यक्ति द्वारा किया गया कार्यनिर्देश। जैसे- पिताजी की आज्ञा है कि मैं धूप में बाहर न जाऊँ।

आदेश- किसी अधिकारी व्यक्ति द्वारा दिया गया कार्यनिर्देश। जैसे- जिलाधीश का आदेश है कि नगर में सर्वत्र शान्ति बनी रहे।

आदरणीय- अपने से बड़ों या महान् व्यक्तियों के प्रति सम्मानसूचक शब्द।

अभिलाषा- किसी विशेष वस्तु की हार्दिक इच्छा।

अलौकिक- उत्तम गुणवाला

अस्वाभाविक- प्रकृति-विरुद्ध

अनभिज्ञ- जिसे पता न हो

अज्ञात- जिसका पता न हो

अपरिचित- नावाकिफ

आशंका- जान जाने का खतरा

अनुदान- आर्थिक सहायता

अगोचर- जिसे इन्द्रियों द्वारा नहीं प्रज्ञा द्वारा जाना जाय

अज्ञेय- जिसका बोध असंभव हो

अनुरूप-रूप के अनुसार

अनुकूल- अपने पक्ष के मुताबिक

अनुभव- अभ्यासादि द्वारा प्राप्त ज्ञान

अनुभूति- चिन्तन-मननादि द्वारा आंतरिक ज्ञान

अभिज्ञ- अनेक विषयों का ज्ञानी

अनबन- दो व्यक्तियों का आपस में न बनना

अमूल्य- जिसकी कीमत कोई न दे सके

अर्पण- अपने से बड़ों के लिए

अन्वेषण- अज्ञात पदार्थ स्थानादि का पता लगाना

अनुसंधान- छानबीन, जाँच-पड़ताल

अशुद्धि- लायी गई भूल

आधि- मानसिक कष्ट

आह्लाद- वह प्रसन्नता, जो क्षणिक, पर तीव्र भावों से संबंधित हो

आगामी- आगे आनेवाला समय

आराधना- किसी देवता या गुरुजन के समक्ष दया याचना

अभिनेत्री- रंगमंच पर नारी की भूमिका अदा करनेवाली

आमंत्रण- किसी समारोह में सम्मिलित होने के लिए सामान्य बुलावा

( इ )

इत्यादि- साधारणतः दो से अधिक उदाहरण के बाद 'इत्यादि' का प्रयोग होता है।

इच्छा- किसी भी वस्तु की साधारण चाह।

ईर्ष्या- दूसरों की उन्नति से जलना

( उ )

उत्साह- काम करने की बढ़ती हुई रुचि।

उद्योग- उद्यम, परिश्रम

उपाय- समस्या, सुलझना

उल्लास- किसी अभिलषित पदार्थ की प्राप्ति की आशा में जो आनंदानुभूति हो

उपासना- अपने इष्टदेश से किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए एक निष्ठ साधना करना

उपकरण- वह सामग्री जो किसी कार्य की सिद्धि के लिए जुटायी जाती है

उपादान- किसी पदार्थ के निर्माण करने की साम्रगी

उदाहरण- किसी बात को सिद्ध करने के दिया गया प्रमाण

( क, ख, ग )

कलंक- कुसंगति के कारण चरित्र पर दोष लगाना।

काफी- आवश्यकता से अधिक। जैसे- गर्मी में भी गंगा में काफी पानी रहता है।

कष्ट- आभाव या असमर्थता के कारण मानसिक और शारीरिक कष्ट होता है।

क्लेश- यह मानसिक अप्रिय भावों या अवस्थाओं का सूचक है।

कृपा- दूसरे के कष्ट दूर करने की साधरण चेष्टा।

कंगाल-जिसे पेट पालने के लिए भीख माँगनी पड़े।

कुशल- जो हर काम में मानसिक तथा शारीरिक शक्तियों का अच्छा प्रयोग करना जानता है।

कर्मठ- जिस काम पर लगाया जाय उसपर लगा रहनेवाला।

क्रांति- जनसाधारण द्वारा शासन को उलटने के लिए किया गया संघर्ष

खेद- किसी गलती पर दुःखी होना। जैसे- मुझे खेद है कि मैं समय पर न पहुँच सका।

खटपट- दो पक्षों के बीच झगड़ा

ग्रन्थ-इससे पुस्तक के आकर की गुरुता और विषय के गाम्भीर्य का बोध होता है।

ग्लानि- किसी पाप या अपराध का अफ़सोस

( प, भ )

पास- अधिकार के सामीप्य का बोध। जैसे- धनिकों के पास पर्याप्त धन है।

प्रेम- व्यापक अर्थ में प्रयुक्त होता है। जैसे- ईश्र्वर से प्रेम, स्त्री से प्रेम आदि।

पुस्तक- साधारणतः सभी प्रकार की छपी किताब को 'पुस्तक' कहते है।

प्रणय- सख्यभावमिश्रित अनुराग। जैसे- राधा-माधव का प्रणय।

प्रणाम- बड़ों को 'प्रणाम' किया जाता है।

पाप- नैतिक नियमों का उल्लंघन 'पाप' है। जैसे- झूठ बोलना।

पूजनीय- पिता, गुरु या महापुरुषों के प्रति सम्मानसूचक शब्द।

पीड़ा- रोग-चोट आदि के कारण शारीरिक 'पीड़ा' होती है।

पत्नी- किसी की विवाहिता के लिए

पुलिन- नदी तट की गीली भूमि

परिचर्या- रोगी की सेवा

प्रतिदान- बदले में कुछ देना

पारितोषिक- किसी प्रतियोगिता में विजयी को

पुरस्कार- किसी अच्छे काम के लिए

पुत्र- अपना बेटा

प्रदान- बड़ों की ओर से छोटों को

प्राणिपात- चरणों को इस प्रकार छूना जिसमें नाक, घुटने और वक्षस्थल भी धरती का स्पर्श कर रहे हों

प्रार्थना- ईश्वर या बड़ों के लिए

भिन्न- अलग होना

भ्रम- जो नहीं है उसे मान बैठना (साँप को रस्सी या रस्सी को साँप)

( स )

शस्त्र- वह हथियार जो हाथ में थामकर चलाया जाता है। जैसे- तलवार।

सभापति- किसी आयोजित बड़ी अस्थायी सभा के प्रधान को 'सभापति' कहते है।

स्वागत- अपनी सभ्यता और प्रथा के वश किसी को सम्मान देना।

शोक- किसी की मृत्यु पर दुःखी होना। जैसे- गाँधी की मृत्यु से सर्वत्र शोक छा गया।

साहस- भय पर विजय प्राप्त करना।

साधारण- जो वस्तु या व्यक्ति एक ही आधार पर आश्रित हो। जिसमें कोई विशिष्ट गुण या चमत्कार न हो।

सेवा- गुरुजनों की टहल।

सामान्य- जो बात दो अथवा कई वस्तुओं तथा व्यक्तियों आदि में समान रूप से पायी

स्त्री- कोई भी औरत।

Similar questions