Hindi, asked by nickhiilkmrp7fbp5, 1 year ago

एक था पेड़ और एक था ठूंठ पक्ष अथवा विपक्ष में अपना मत व्यक्त कीजिए

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Answered by rahul1343
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कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर मानवीय मूल्यों के रचनाकार हैं | पत्रकारिता के क्षेत्र में भी वे उन्हीं मूल्यों को ले कर चलते हैं | वर्तमान समाज की व्यावहारिक जटिलता (जिसे एक सीमा तक कुटिलता भी कहा जा सकता है) उन्हें हमेशा आहत करती रही ... वह पेड़ पूरा न दीखता था, इसलिए मैं पलंग से खिड़की पर आ बैठा | अब मुझे वह पेड़ जड़ से फुंगल तक दिखाई देने लगा और मेरा ध्यान इस बात की ओर गया कि हवा कितनी भी तेज हो, पेड़ की जड़ स्थिर रहती है, हिलती नहीं है |' प्रभाकर जी के निबंध 'एक था पेड़ और एक था ठूंठ !'
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