एक धनी युवक संत के पास पूछने के लिए गया कि उसे अपने जीवन में क्या करना चाहिए| संत उसे उस कमरे की खिड़की तक ले गये और उससे पूछा “तुम्हें काँच के परे क्या दिख रहा है ?” सड़क पर लोग आ जा रहे है और बेचारा गरीब व्यक्ति भीख मांग रहा है “ इसके बाद संत ने उसे एक बड़ा दर्पण दिखाया और पूछा “अब इस दर्पण को देखकर बताओ कि तुम क्या देखते हो “ इसमें मैं खुद को देख पा रहा हूँ |” दर्पण में तुम दूसरों को क्यों नही देख सकते? तुम जानते हो कि खिड़की में लगा काँच और यह दर्पण एक ही मूल पदार्थ से बने है तुम स्वयं की तुलना काँच के इन दो रूपों से करके देखो जब यह साधारण है तो तुम्हें सभी दिखते है और उन्हें देखकर तुम्हारे भीतर करुणा जागती है और जब इस काँच पर चाँदी का लेप हो जाता है तब तुम केवल स्वयं को देखने लगते हो | “तुम्हारा जीवन भी तभी महत्वपूर्ण बनेगा जब तुम अपनी आँखो पर लगी चांदी की परत को उतार दो”| Q1. संत ने युवक को काँच और दर्पण क्यों दिखाए ? * 1 point (क) काँच और दर्पण के मूल पदार्थ को बताने के लिए
(ख) सड़क पर आने जाने वाले लोगों के प्रति दया भाव जाग्रत करने के लिए
(ग) युवक को स्वयं का असली चेहरा दिखाने की लिए (घ) यह समझने में युवक की मदद करने के लिए कि उसे क्या करना चाहिए
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( क) is the correct answer
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