एक युद्ध की तरह प्रतीत होता है .................. कहा जाता है खाली स्थान Ansar bata do
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ब्लिट्जक्रेग (जर्मन, "बिजली युद्ध"); listen सहायता·सूचना एक अंग्रेजीनुमा शब्द है[1] जिसका मतलब टैंकों, पैदल सेना, तोपची सैनिक और वायु शक्ति के सभी यंत्रीकृत सैन्य बलों का संयुक्त प्रहार है, जिसमें शत्रु पंक्तियों पर कामयाबी हासिल करने के लिए संयुक्त रूप से जबरदस्त ताकत और तीव्र गति से हमला किया जाता है और जब एक बार शत्रु पंक्ति छिन्न-भिन्न हो जाती है तो अपने किनारे की फिक्र किये बगैर तेजी से आगे बढ़ा जाता है। एक निरंतर गति से ब्लिट्जक्रेग, अपने दुश्मन को असंतुलित किये रखने की कोशिश करता है, जिससे उसके लिए किसी भी समय प्रभावी ढंग से जवाब देना मुश्किल हो जाता है जब तक कि अगली पंक्ति पहले ही आगे ना बढ़ गयी हो.
युद्ध काल की अवधि के दौरान, विमान और टैंक संबंधी तकनीकें विकसित हुईं और इसके साथ-साथ घुसपैठ की जर्मन रणनीतियों एवं दुश्मन की शक्ति के केन्द्रों से बचकर निकलने की नीति को व्यवस्थित ढंग से लागू किया गया।[2] जब जर्मनी ने 1939 में पोलैंड पर आक्रमण किया, पश्चिमी देशों के पत्रकारों ने बख्तरबंद युद्ध के इस स्वरुप को समझाने के लिए ब्लिट्जक्रेग शब्द को अपनाया.[3] ब्लिट्जक्रेग ऑपरेशन 1939 - 1941 के बीच ब्लिट्जक्रेग अभियानों के दौरान अत्यंत प्रभावशाली साबित हुए थे। इस तरह के ऑपरेशन अचानक किये जाने वाले भेदक आक्रमणों (जैसे आर्डेनेस के जंगली क्षेत्रों में किये गए भेदक आक्रमण) पर निर्भर करते थे, जब दुश्मन सामान्यतः तैयार नहीं होते थे और आक्रमणकारियों के तीव्र प्रहारों का शीघ्रता से जवाब देने में सक्षम नहीं होते थे। फ्रांस के युद्ध के दौरान, फ्रांसीसियों द्वारा रक्षा पंक्तियों को नदियों के किनारे पुनः-व्यवस्थित करने की कोशिशों को बार-बार निराशा हाथ लगी जब जर्मन सेना वहाँ पहले ही पहुँच जाती थी और अपना दबाव बना लेती थी।[4]
केवल बाद में, सोवियत संघ के आक्रमण के दौरान, ब्लिट्जक्रेग के दोष उभर कर सामने आये. फ्रांस और पोलैंड में अपने पैरों पर चलने वाली पैदल सेना, ज्यादातर अगुआई वाली बख्तरबंद सेना के केवल कुछ ही घंटे पीछे थी। रूस के खुले विस्तृत घास के मैदानों में कुछ घंटों की देरी कई दिनों में बदल गयी, जिससे सोवियत सेना को रक्षा पंक्तियों से कहीं दूर एक जगह जमा होने का मौक़ा मिला और इस प्रकार उनकी पैदल सेना को रक्षात्मक स्थिति में आने का पर्याप्त समय मिल गया।[5] उदाहरण के लिए स्टेलिनग्राद के युद्ध में सोवियत सेनाएं जर्मन ब्रेक आउट प्वाइंट से सैकड़ों किलोमीटर दूर संगठित हुईं थी। जर्मन और मित्र राष्ट्रों की सेनाएं, दोनों पश्चिम की ओर थे और सोवियत संघ ने आखिरकार ब्लिट्जक्रेग युद्ध कौशल के नाकाम होने का एहसास किया।[6]
1970 के दशक के बाद से शिक्षाविदों ने एक सुसंगत सैन्य सिद्धांत या रणनीति के रूप में ब्लिट्जक्रेग के अस्तित्व पर सवाल उठाया है। कई शिक्षाविद इतिहासकारों का मानना है कि ब्लिट्जक्रेग अपने आप में स्वयं एक मिथक है। अन्य लोग इस शब्द का उपयोग द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मन रणनीति और सिद्धांत की व्याख्या के लिए करते हैं (देखें विवाद अनुभाग).