Hindi, asked by shubhamchauhan7673, 3 months ago

एकलव्य को धनुर्विद्या की शिक्षा ना देने के दौरान आचार्य के निर्णय पर अपने विचार पी 25 30 शब्द लिखिए ​

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Answered by DeepakSainiTlk
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महाभारत में वर्णित कथा के अनुसार एकलव्य धनुर्विद्या सीखने के उद्देश्य से द्रोणाचार्य के आश्रम में आये किन्तु निषादपुत्र होने के कारण द्रोणाचार्य ने उन्हें अपना शिष्य बनाना स्वीकार नहीं किया। निराश हो कर एकलव्य वन में चले गये । उ उन्होंने द्रोणाचार्य की एक मूर्ति बनाई और उस मूर्ति को गुरु मान कर धनुर्विद्या का अभ्यास करने लगे । एकाग्रचित्त से साधना करते हुये अल्पकाल में ही वह धनु्र्विद्या में अत्यन्त निपुण हो गया।

Answered by jatinkumargolu776
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प्राण जाए पर वचन न जाए ,,, क्योंकि आचार्य ने अर्जुन को वचन दिया था की तुमको धरती का सबसे बड़ा धनुर्धारी बनाऊंगा

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