एकलव्यःद्रोणाचायिर्कम्अवदत्?
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एकलव्यःद्रोणाचायिर्कम्अवदत्?
उत्तरः — एकलव्य द्रोणाचार्य अवदत्, गुरुदेव अहम् अपि धनुर्धरः भवितुम् इच्छामि। कृपयां माम् स्वीकरु।
हिंदी अर्थ
एकलव्य ने द्रोणाचार्य से क्या कहा।
उत्तर : एकलव्य ने द्रोणाचार्य से कहा, गुरुदेव मैं आपकी तरह धनुर्धर बनना चाहता हूँ। कृपया मुझे स्वीकार करें।
व्याख्या :
एकलव्य भील जाति का एक युवक था, जो धनुष विद्या में निपुण था। वे द्रोणाचार्य से धनुर्विद्या की शिक्षा लेकर सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बनना चाहता था। द्रोणाचार्य का शिष्य न बन पाने के कारण उसने उनकी मिट्टी की मूर्ति बनाकर उसे गुरु बनाकर धनुर्विद्या का अभ्यास करना शुरु कर दिया।
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