एकसंकर क्रॉस का प्रयोग करते हुए, प्रभाविता नियम की व्याख्या करो।
Answers
एकसंकर क्रॉस का प्रयोग करते हुए, प्रभाविता नियम की व्याख्या :
एकसंकर क्रॉस :
एकाकी लक्षणों के तुलनात्मक या विपर्यासी लक्षणप्रारूपों की वंशागति के अध्ययन हेतु किए गए प्रयोगों को एकसंकर संकरण कहते हैं।
इसके लिए मेंडल ने मटर के शुद्ध लंबे (TT) और शुद्ध बौने पौधे (tt) का चयन किया। इनके मध्य संकरण कराया।
इसके पश्चात इन से बने संकर बीजों को अंकुरित कराने पर लंबे पादप उत्पन्न हुए। इस प्रकार दो विपरीत गुणों वाले जनक पादपों के मध्य संकरण उत्पन्न पादपों को संकर तथा इस पीढ़ी को प्रथम संतति पीढ़ी कहते हैं, जिसे F1- पीढ़ी द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
अब, मेंडल ने लंबे पादपों वाले प्रथम संकर पीढ़ी में स्वपरागण कराया तथा इनसे बने बीजों को बौने पर द्वितीय संतति पीढ़ी , F2 - पीढ़ी में लंबे और बौने प्रकार के पादप 3 : 1 के अनुपात में प्राप्त किए। इसी प्रकार मेंडल ने अन्य 7 जोड़ी विपर्यासी लक्षणों का अध्ययन किया । F2- पीढ़ी में इन सभी परीक्षणों के परिणाम लगभग 3 : 1 के अनुपात में थे।
मेडल द्वारा तृतीय संतति पीढ़ी का अध्ययन करने पर पता चला कि F2- पीढ़ी के सभी बोने पौधों में स्वपरागण कराने से बौने पौधे बनते हैं स्पष्ट है कि पादप बौनेपन के लिए शुद्ध है, किंतु लंबे पादपों में से एक तिहाई पादप लंबेपन के लिए शुद्ध थे ,जबकि दो तिहाई पादप अशुद्ध लंबे थे।
F3- पीढ़ी के अशुद्ध लंबे पादपों में शुद्ध लंबे, अशुद्ध लंबे, तथा शुद्ध बोने पादप 1 : 2 : 1 के अनुपात में प्राप्त हुए। अतः F2- पीढ़ी में लंबे और बौने पादपों में 3 : 1 का अनुपात वास्तव में 1 :2 : 1 का अनुपात है।
प्रभाविता नियम :
इस नियम के अनुसार जब दो समयुग्मनजी पादपों में संकरण कराया जाता है तो F1- पीढ़ी में प्रकट होने वाले लक्षणों को प्रभावी तथा F2- पीढ़ी में न दिखने वाले लक्षणों का अप्रभावी लक्षण कहते हैं।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
इस पाठ (आनुवंशिकी तथा विकास) के सभी प्रश्न उत्तर :
https://brainly.in/question/14819726#
इस पाठ से संबंधित कुछ और प्रश्न :
मंडल द्वारा प्रयोगों के लिए मटर के पौधे चुनने से क्या लाभ हुए?
https://brainly.in/question/14819832#
निम्न में भेद करो -
(क) प्रभाविता और अप्रभाविता
(ख) समयुग्मजी और विषमयुग्मजी
(ग) एकसंकर और द्विसंकर।
https://brainly.in/question/14819841#
Answer:
प्रभाविता नियम :
इस नियम के अनुसार जब दो समयुग्मनजी पादपों में संकरण कराया जाता है तो F1- पीढ़ी में प्रकट होने वाले लक्षणों को प्रभावी तथा F2- पीढ़ी में न दिखने वाले लक्षणों का अप्रभावी लक्षण कहते हैं।