Ekta Mein Bal main nibandh
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संसार में रहते हुए कोई भी व्यक्ति चाहे वह कितना ही बलवान धनवान या बुद्धिमान हो अकेले ही अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर सकता है। वह दूसरों के सहयोग से ही अपनी आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है। इस प्रकार मिलजुल कर कार्य करने की शक्ति को एकता या संगठन कहते हैं।
एकता ही सब शक्तियों का मूल है। किसी भी परिवार, समाज और राष्ट्र की उन्नति, एकता पर निर्भर करती है। संपूर्ण सृष्टि का निर्माण निर्माण भी पांच तत्वों से हुआ है। एकता में बड़ी शक्ति होती है, इसी से संसार में सुख-समृद्धि तथा सफलता की प्राप्ति होती है। अकेले धागे को लेकर कोई भी तोड़ सकता है, परंतु अनेक भागों के मेल से बनी रस्सी बड़े-बड़े हाथियों को भी बांध देती है। अकेली पानी की बूंद का कोई महत्व नहीं, परंतु जब यह मिलकर नदी का रूप धारण कर लेती है तो अपने प्रवाह में आने वाले बड़े से बड़े पेड़ों और शिलाओं को भी बहा ले जाती है।
जो देश, जातियां और कुटुंब जितने अधिक संगठित रहें हैं, उनका उतना ही अधिक बोलबाला रहा है। भारत की गुलामी का मूल कारण भी हमारी एकता की कमी थी। अंग्रेजों ने हममें फूट डालकर हमें गुलाम बना दिया। जब हम एक होकर खड़े हुए हैं, तो हमारा देश स्वतंत्र हो गया। वर्तमान युग में तो संगठन की और भी अधिक आवश्यकता है। इसी के बल पर मजदूर वर्ग अपने हितों की रक्षा कर सकते हैं।
आज के संघर्षशील युग में जो जितने अधिक संगठित होंगे, वह उतने अधिक सुखी और समृद्धशाली होंगे। देश, जाति, संस्था अथवा समाज चाहे वह बड़ा हो या छोटा हो बिना एकता के जीवित नहीं रह सकता। आज हमारे देश के सामने अनेक शत्रु राष्ट्रों की बड़ी चुनौती है। कुछ आंतरिक शत्रु भी इसे नष्ट करने पर तुले हुए हैं। हम इन शत्रुओं का सामना एकता द्वारा ही कर सकते हैं। अतः हमें पारिवारिक हित के लिए समाज और देश के हित के लिए भेदभाव को भुलाकर एकता से रहना चाहिए
एकता ही सब शक्तियों का मूल है। किसी भी परिवार, समाज और राष्ट्र की उन्नति, एकता पर निर्भर करती है। संपूर्ण सृष्टि का निर्माण निर्माण भी पांच तत्वों से हुआ है। एकता में बड़ी शक्ति होती है, इसी से संसार में सुख-समृद्धि तथा सफलता की प्राप्ति होती है। अकेले धागे को लेकर कोई भी तोड़ सकता है, परंतु अनेक भागों के मेल से बनी रस्सी बड़े-बड़े हाथियों को भी बांध देती है। अकेली पानी की बूंद का कोई महत्व नहीं, परंतु जब यह मिलकर नदी का रूप धारण कर लेती है तो अपने प्रवाह में आने वाले बड़े से बड़े पेड़ों और शिलाओं को भी बहा ले जाती है।
जो देश, जातियां और कुटुंब जितने अधिक संगठित रहें हैं, उनका उतना ही अधिक बोलबाला रहा है। भारत की गुलामी का मूल कारण भी हमारी एकता की कमी थी। अंग्रेजों ने हममें फूट डालकर हमें गुलाम बना दिया। जब हम एक होकर खड़े हुए हैं, तो हमारा देश स्वतंत्र हो गया। वर्तमान युग में तो संगठन की और भी अधिक आवश्यकता है। इसी के बल पर मजदूर वर्ग अपने हितों की रक्षा कर सकते हैं।
आज के संघर्षशील युग में जो जितने अधिक संगठित होंगे, वह उतने अधिक सुखी और समृद्धशाली होंगे। देश, जाति, संस्था अथवा समाज चाहे वह बड़ा हो या छोटा हो बिना एकता के जीवित नहीं रह सकता। आज हमारे देश के सामने अनेक शत्रु राष्ट्रों की बड़ी चुनौती है। कुछ आंतरिक शत्रु भी इसे नष्ट करने पर तुले हुए हैं। हम इन शत्रुओं का सामना एकता द्वारा ही कर सकते हैं। अतः हमें पारिवारिक हित के लिए समाज और देश के हित के लिए भेदभाव को भुलाकर एकता से रहना चाहिए
ayush1274:
please mark it brainlist
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Hi dear here is your nibandh
एकता में बल है एक कहावत है जिसे लगभग सभी ने सुना है। यह अक्सर छोटी कक्षाओं में नैतिक विज्ञान पाठ्यक्रम का एक हिस्सा होता है। इस कहावत का अर्थ सरल और गहरा है। हालांकि इसका मतलब यह है कि मजबूत बने रहने के लिए हमें एकजुट रहना चाहिए लेकिन इसका पालन करना आज की प्रतिस्पर्धी दुनिया में मुश्किल सा लगता है। विडंबना यह है कि कैसे हमें एकजुट रहना सिखाया जाता है पर फिर भी हमारे जीवन में हर कदम पर हमें एक-दूसरे के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करने के लिए सिखाया जाता है।
“यूनियन इज़ स्ट्रेंथ”, “यूनाइटेड वी स्टैंड,डिवाइड वी फाल", "स्ट्रेंग्थ इज इन यूनिटी" जैसी कई संबंधित कहावतें अतीत में गढ़ी गई हैं। कई कहानियां भी यह बताने के लिए लिखी गई है कि कैसे एकजुट रहने और दूसरों के साथ सौहार्दपूर्ण रिश्तें बनाए रखने से शक्ति बनती है। जब हम एकजुट हो जाते हैं तो हम किसी भी चीज या किसी के साथ भी लड़ सकते हैं क्योंकि हम ज्यादा शक्तिशाली हो जाते हैं। दूसरी ओर अगर हम अपने पड़ोसियों, मित्रों और रिश्तेदारों से लड़ते हैं और लगातार यह साबित करने की कोशिश करते हैं कि हम उनके मुकाबले बेहतर हैं तो अंत में हम अकेले रह जाएंगे। यह तथ्य प्रत्येक संबंध के साथ-साथ हमारे व्यावसायिक जीवन के लिए भी सच है। जब हम एक टीम के रूप में काम करते हैं और एक-दूसरे की मदद करते हैं तो हम किसी भी परियोजना पर बेहतर तरीके से काम करने में सक्षम होते हैं। इसके विपरीत अगर हमारी टीम के भीतर ही संघर्ष होता है तो हम कमज़ोर पड़ सकते हैं।
HOPE ITS HELP U
एकता में बल है एक कहावत है जिसे लगभग सभी ने सुना है। यह अक्सर छोटी कक्षाओं में नैतिक विज्ञान पाठ्यक्रम का एक हिस्सा होता है। इस कहावत का अर्थ सरल और गहरा है। हालांकि इसका मतलब यह है कि मजबूत बने रहने के लिए हमें एकजुट रहना चाहिए लेकिन इसका पालन करना आज की प्रतिस्पर्धी दुनिया में मुश्किल सा लगता है। विडंबना यह है कि कैसे हमें एकजुट रहना सिखाया जाता है पर फिर भी हमारे जीवन में हर कदम पर हमें एक-दूसरे के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करने के लिए सिखाया जाता है।
“यूनियन इज़ स्ट्रेंथ”, “यूनाइटेड वी स्टैंड,डिवाइड वी फाल", "स्ट्रेंग्थ इज इन यूनिटी" जैसी कई संबंधित कहावतें अतीत में गढ़ी गई हैं। कई कहानियां भी यह बताने के लिए लिखी गई है कि कैसे एकजुट रहने और दूसरों के साथ सौहार्दपूर्ण रिश्तें बनाए रखने से शक्ति बनती है। जब हम एकजुट हो जाते हैं तो हम किसी भी चीज या किसी के साथ भी लड़ सकते हैं क्योंकि हम ज्यादा शक्तिशाली हो जाते हैं। दूसरी ओर अगर हम अपने पड़ोसियों, मित्रों और रिश्तेदारों से लड़ते हैं और लगातार यह साबित करने की कोशिश करते हैं कि हम उनके मुकाबले बेहतर हैं तो अंत में हम अकेले रह जाएंगे। यह तथ्य प्रत्येक संबंध के साथ-साथ हमारे व्यावसायिक जीवन के लिए भी सच है। जब हम एक टीम के रूप में काम करते हैं और एक-दूसरे की मदद करते हैं तो हम किसी भी परियोजना पर बेहतर तरीके से काम करने में सक्षम होते हैं। इसके विपरीत अगर हमारी टीम के भीतर ही संघर्ष होता है तो हम कमज़ोर पड़ सकते हैं।
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