एनआरआई न्यूनतम 150 शब्दों पर भाषण
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अनिवासी भारतीय
भारत या भारत के बाहर रहने वाले भारतीय मूल में पैदा हुए भारतीयों को अनिवासी भारतीय (एनआरआई) कहा जाता है। दुनिया में लगभग 30 करोड़ अनिवासी भारतीय हैं। एनआरआई को आयकर द्वारा उस व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया जाता है जो उस वित्तीय वर्ष में कम से कम 183 दिनों के लिए भारत के बाहर रहता है, या लगातार चार वित्तीय वर्षों में कम से कम 365 दिन। आयकर उद्देश्यों के लिए यह महत्वपूर्ण है। हालांकि, कई भारतीय इन नियमों से अवगत नहीं हैं। इसलिए वे सरकारी नियमों के अनुसार नहीं जाते हैं। भारतीय मूल के व्यक्ति (पीआईओ) से एनआरआई अलग है।
भारतीय अध्ययन मुख्य रूप से अध्ययन के लिए और उच्च वेतन अर्जित करने के लिए विदेश में रहते हैं। कुछ विदेशों में बेहतर रहने की स्थिति के कारण भारत के बाहर रहने का चुनाव करते हैं। कुछ उच्च स्तर के अकादमिक और पेशेवर कामकाजी माहौल के लिए जाते हैं। कुछ प्रतिष्ठा और सुविधा के लिए विदेश में रहते हैं। पिछले चार दशकों में कई भारतीय विदेश गए हैं।
एनआरआई भारत में अपने संबंधों के साथ संपर्क रखते हैं। वे स्थानीय क्षेत्र और भारत की सांस्कृतिक परंपराओं को अच्छी तरह मिलाते हैं। वे स्थानीय लोगों के साथ बहुत अच्छी तरह से मिलते हैं। उन्होंने खुद को सम्मानजनक पदों और स्थिति भी अर्जित की है। अमेरिका और इंग्लैंड में कई भारतीय साल भर समाचार बनाते हैं। भारतीय सरकार अनिवासी भारतीयों को खुश रखने की कोशिश करती है। अनिवासी भारतीय देश के विकास में बहुत योगदान करते हैं। वे भारत में बहुत निवेश करते हैं और भारत में व्यवसाय स्थापित करते हैं।
2004 से विदेशी भारतीय मामलों के मंत्रालय 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाते हैं। यह वह दिन था जब महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत आए थे। एनआरआई 2006 से भारत के एक विशेष विदेशी नागरिकता (ओसीआई) का आनंद लेते हैं।
लगभग तीन दशकों पहले विकसित देशों और यूएनओ में भी भारतीयों का इलाज नहीं किया गया था। लेकिन दुनिया भर के भारतीयों द्वारा हालिया प्रगति ने विकसित देशों को अनिवासी भारतीयों का सम्मान किया है। हालांकि, कुछ मध्य पूर्व, ऑस्ट्रेलिया और यूएसए अब कुछ नियम बनाते हैं और फिर बहुत सारे भारतीयों को बहने से रोकने के लिए।
एनआरआई उन देशों के लिए भारत के राजदूत हैं। भारतीयों के बाहर अपने ध्वज को उड़ाने के लिए एनआरआई की बड़ी ज़िम्मेदारी भी है। वे निश्चित रूप से करते हैं जब भारत से सांस्कृतिक समूह या खेल दल अपने देशों की यात्रा करते हैं।
भारत या भारत के बाहर रहने वाले भारतीय मूल में पैदा हुए भारतीयों को अनिवासी भारतीय (एनआरआई) कहा जाता है। दुनिया में लगभग 30 करोड़ अनिवासी भारतीय हैं। एनआरआई को आयकर द्वारा उस व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया जाता है जो उस वित्तीय वर्ष में कम से कम 183 दिनों के लिए भारत के बाहर रहता है, या लगातार चार वित्तीय वर्षों में कम से कम 365 दिन। आयकर उद्देश्यों के लिए यह महत्वपूर्ण है। हालांकि, कई भारतीय इन नियमों से अवगत नहीं हैं। इसलिए वे सरकारी नियमों के अनुसार नहीं जाते हैं। भारतीय मूल के व्यक्ति (पीआईओ) से एनआरआई अलग है।
भारतीय अध्ययन मुख्य रूप से अध्ययन के लिए और उच्च वेतन अर्जित करने के लिए विदेश में रहते हैं। कुछ विदेशों में बेहतर रहने की स्थिति के कारण भारत के बाहर रहने का चुनाव करते हैं। कुछ उच्च स्तर के अकादमिक और पेशेवर कामकाजी माहौल के लिए जाते हैं। कुछ प्रतिष्ठा और सुविधा के लिए विदेश में रहते हैं। पिछले चार दशकों में कई भारतीय विदेश गए हैं।
एनआरआई भारत में अपने संबंधों के साथ संपर्क रखते हैं। वे स्थानीय क्षेत्र और भारत की सांस्कृतिक परंपराओं को अच्छी तरह मिलाते हैं। वे स्थानीय लोगों के साथ बहुत अच्छी तरह से मिलते हैं। उन्होंने खुद को सम्मानजनक पदों और स्थिति भी अर्जित की है। अमेरिका और इंग्लैंड में कई भारतीय साल भर समाचार बनाते हैं। भारतीय सरकार अनिवासी भारतीयों को खुश रखने की कोशिश करती है। अनिवासी भारतीय देश के विकास में बहुत योगदान करते हैं। वे भारत में बहुत निवेश करते हैं और भारत में व्यवसाय स्थापित करते हैं।
2004 से विदेशी भारतीय मामलों के मंत्रालय 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाते हैं। यह वह दिन था जब महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत आए थे। एनआरआई 2006 से भारत के एक विशेष विदेशी नागरिकता (ओसीआई) का आनंद लेते हैं।
लगभग तीन दशकों पहले विकसित देशों और यूएनओ में भी भारतीयों का इलाज नहीं किया गया था। लेकिन दुनिया भर के भारतीयों द्वारा हालिया प्रगति ने विकसित देशों को अनिवासी भारतीयों का सम्मान किया है। हालांकि, कुछ मध्य पूर्व, ऑस्ट्रेलिया और यूएसए अब कुछ नियम बनाते हैं और फिर बहुत सारे भारतीयों को बहने से रोकने के लिए।
एनआरआई उन देशों के लिए भारत के राजदूत हैं। भारतीयों के बाहर अपने ध्वज को उड़ाने के लिए एनआरआई की बड़ी ज़िम्मेदारी भी है। वे निश्चित रूप से करते हैं जब भारत से सांस्कृतिक समूह या खेल दल अपने देशों की यात्रा करते हैं।
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एनआरआई निवेश एक ऐसा विषय है, जिस लेकर योर मनी पर हमेशा सवाल आते रहते हैं और हम हमारे तमाम एनआरआई दर्शकों को धन्यवाद करते हैं, की अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग के लिए उन्होने योर मनी को चुना। आज हम एनआरआई भारत में कैसे निवेश कर सकते हैं और टैक्स को लेकर क्या औपचारिकता हैं साथ ही निवेश के जरिए कौन कौन से हैं। इन सब पर बात करने के लिए हमारे साथ मौजूद हैं फाइनेंशियल प्लानर अर्णव पंड्या।
अर्णव पंड्या का कहना है कि एनआरआई भारत में दो तरह के खाते खोलने की जरुरत है। पहला एनआरई खाता यानि नॉन रेजिडेंट एक्सटर्नल और एनआरओ खाता यानि नॉन रेजिडेंट ऑर्डिनरी। नॉन रेजिडेंट एक्सटर्नल यानि एनआरई खाते में फॉरेन करेंसी जमा कर रूपये में बदली कर सकते है। साथ ही एनआरई खाते से भारत में पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं। एनआरई खाता टैक्स फ्री होता है। इसमें सेविंग, रेकरिंग, फिक्सड खाते का विकल्प है। एनआरई खाते से पैसे विदेश ले जा सकते हैं। साथ ही विदेश से होने वाली कमाई को भी जमा की जा सकती है।
अर्णव पंड्या ने आगे बताया कि एनआरओ खाता यानि नॉन रेजिडेंट ऑर्डिनरी खाते में भारत में कमाई हुई रकम जमा कर सकते है। खाते में सिर्फ भारत की करेंसी में पैसा रखा जा सकता है। इसमें कमाई का स्रोत भी भारत होना चाहिए। एनआरओ खाते में आर्थिक लेनदेन पर टैक्स लगता है। इसमें सेविंग, रेकरिंग, फिक्सड खाते का विकल्प है। एनआरओ खाते में 10 लाख से ज्यादा तक की रकम पर आरबीआई की इजाजत पर विदेश ले जा सकते हैं।
अब एनआरआई छोटी बचत योजनाओं में ज्यादा कमाई नही कर पाएंगें। छोटी बचत योजनाओं को लेकर नियमों में बदलाव किए गए हैं। ये बदलाव पीपीएफ और एनएससी से जुडें हैं। अब अगर खाताधारक एनआरआई हो जाते हैं तो उनका पीपीएफ और एनएससी खाता बंद कर दिया जाएगा और एनआरआई स्टेटस होने पर उन्हे पोस्ट ऑफिस का 4 फीसदी ब्याज मिलेगा। 4 फीसदी ब्याज की कमाई एनआरआई स्टेटस मिलेने पर लागू हो जाएगा। ये बदलाव पीपीएफ और एनएससी में निवेश को लेकर है। इसलिए एनआरआई बनते ही खाता बंद कर दें।
निवेश और टैक्स को समझा जाएं तो एनआरआई के लिए निवेश पर कमाया डिविडेंड टैक्स फ्री है। इक्विटी पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स नहीं है। हालांकि इक्विटी पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स पर 15 फीसदी टैक्स देना होगा। एनआरओ खाते पर कमाए ब्याज पर टैक्स है। आपको 2.5 लाख तक की कमाई पर टैक्स नहीं देना होता। टीडीएस को रिफंड के लिए क्लेम करें। रिफंड के लिए रिटर्न फाइल करना जरूरी है।
भारत लौट आने पर एनआऱआई तमाम निवेशों में बदलाव करें। भारत में बैंक खाता खोलें। भारत में बिताए दिनों के आधार पर टैक्स लगाया जाएगा।
pls Mark it as brain list and follow me
अर्णव पंड्या का कहना है कि एनआरआई भारत में दो तरह के खाते खोलने की जरुरत है। पहला एनआरई खाता यानि नॉन रेजिडेंट एक्सटर्नल और एनआरओ खाता यानि नॉन रेजिडेंट ऑर्डिनरी। नॉन रेजिडेंट एक्सटर्नल यानि एनआरई खाते में फॉरेन करेंसी जमा कर रूपये में बदली कर सकते है। साथ ही एनआरई खाते से भारत में पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं। एनआरई खाता टैक्स फ्री होता है। इसमें सेविंग, रेकरिंग, फिक्सड खाते का विकल्प है। एनआरई खाते से पैसे विदेश ले जा सकते हैं। साथ ही विदेश से होने वाली कमाई को भी जमा की जा सकती है।
अर्णव पंड्या ने आगे बताया कि एनआरओ खाता यानि नॉन रेजिडेंट ऑर्डिनरी खाते में भारत में कमाई हुई रकम जमा कर सकते है। खाते में सिर्फ भारत की करेंसी में पैसा रखा जा सकता है। इसमें कमाई का स्रोत भी भारत होना चाहिए। एनआरओ खाते में आर्थिक लेनदेन पर टैक्स लगता है। इसमें सेविंग, रेकरिंग, फिक्सड खाते का विकल्प है। एनआरओ खाते में 10 लाख से ज्यादा तक की रकम पर आरबीआई की इजाजत पर विदेश ले जा सकते हैं।
अब एनआरआई छोटी बचत योजनाओं में ज्यादा कमाई नही कर पाएंगें। छोटी बचत योजनाओं को लेकर नियमों में बदलाव किए गए हैं। ये बदलाव पीपीएफ और एनएससी से जुडें हैं। अब अगर खाताधारक एनआरआई हो जाते हैं तो उनका पीपीएफ और एनएससी खाता बंद कर दिया जाएगा और एनआरआई स्टेटस होने पर उन्हे पोस्ट ऑफिस का 4 फीसदी ब्याज मिलेगा। 4 फीसदी ब्याज की कमाई एनआरआई स्टेटस मिलेने पर लागू हो जाएगा। ये बदलाव पीपीएफ और एनएससी में निवेश को लेकर है। इसलिए एनआरआई बनते ही खाता बंद कर दें।
निवेश और टैक्स को समझा जाएं तो एनआरआई के लिए निवेश पर कमाया डिविडेंड टैक्स फ्री है। इक्विटी पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स नहीं है। हालांकि इक्विटी पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स पर 15 फीसदी टैक्स देना होगा। एनआरओ खाते पर कमाए ब्याज पर टैक्स है। आपको 2.5 लाख तक की कमाई पर टैक्स नहीं देना होता। टीडीएस को रिफंड के लिए क्लेम करें। रिफंड के लिए रिटर्न फाइल करना जरूरी है।
भारत लौट आने पर एनआऱआई तमाम निवेशों में बदलाव करें। भारत में बैंक खाता खोलें। भारत में बिताए दिनों के आधार पर टैक्स लगाया जाएगा।
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