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बहुत से मनुष्य यह सोच-सोचकर कि हमें कभी सफलता नहीं मिलेगी, दैव हमारे विपरीत है, अपनी सफलता को
अपने ही हाथों पीछे धकेल देते हैं। उनका मानसिक भावसफलता और विजय के अनुकूल बनता ही नहीं तो सफलता
और विजय कहाँ? यदि हमारा मन शंका और निराशा से भरा है तो हमारे कामों का परिचय भी निराशाजनक ही होगा,
प्रश्न2. निम्नलिखित गद्यांशको पढ़कर उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
क्योंकि सफलता की, विजयकी, उन्नति की कुंजी तो अविचल श्रद्धा ही है।
()
उपर्युक्त गद्यांश भाषा भारतीकक्षा 8 के किस पाठ से लिया गया है?
उत्तर
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Answer:
at the age of thirty he came under the influence of John Baptist and was baptized by himself
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