एस्से ऑन खाद्य एवं पोषण की धारणा
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Explanation:
मानसिक मापदण्ड -
मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य एक दूसरे से जुड़े हैं। यह केवल मानसिक बीमारी की अनुपस्थिति नहीं है। अच्छा मानसिक स्वास्थ्य जीवन के बहुत से अनुभवों को बताने की योग्यता रखता है। निम्न मानसिक स्वास्थ्य अच्छे शरीर को तो प्रभावित करता है; इसके अतिरिक्त मानसिक कारक भी विचारपूर्ण है जो कि अति-रक्तचाप, अस्थमा, शारीरिक अव्यवस्थाओं में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।
3. सामाजिक मापदण्ड -
अच्छी व्यवहारकुशलता निहित है एकरूपता और एकीÑत व्यकित में, व्यकित और समाज में, व्यकित और विश्व में, जिसमें कि वह रहता है। एक समुदाय का सामाजिक स्वास्थ्य उन्नति, चिंतन, विचारों और दूसरों के प्रति सहानुभूति जैसे कारकों पर निर्भर करता है। इसके अलावा यह शिक्षा, उत्पादन, स्वास्थ्य व व्यकितयों की सामाजिक सुरक्षा पर निर्भर करता है।
4. आèयातिमक मापदण्ड -
आधुनिक जीवन पर तनाव व दबाव होने से स्वास्थ्य के मापदण्ड पर विचार करना अनिवार्य है। विश्व के साथ शानित सम्बन्ध बनाने से पहले यह अनिवार्य है कि व्यकित स्वयं आतिमक शानित को प्राप्त हो। आèयातिमक स्वास्थ्य नैतिक मूल्यों, संहिताओं, अभ्यासों व चिंतन इत्यादि के माèयम से प्राप्त किया जा सकता है।
5. व्यवसायिक मापदण्ड -
व्यवसायिक मापदण्ड स्वास्थ्य का नया मापदण्ड है। इसका महत्त्व ज्यादा तब है, जब अचानक किसी व्यकित की नौकरी छूट जाती है या उसे सेवा-निवृत्ति लेनी पड़ती है। हो सकता है कुछ व्यकितयों के लिए ये केवल आय का एक ज़रिया हो, लेकिन कुछ के लिए जिन्दगी के सभी मापदण्डों के द्वारा जो सफलता मिलती है, यह उसे प्रदर्शित करता है।
Answer:
परिचय
पोषण आहार-तत्व सम्बन्धी विज्ञान है। यह एक नर्इ विचारधारा है, जिसका जन्म मूलत: शरीर विज्ञान तथा रसायन विज्ञान से हुआ है। आहार तत्वों द्वारा मनुष्य के शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन एवं विश्लेषण इसका मुख्य विषय है। दूसरे शब्दों में शरीर आहार सम्बन्धी सभी प्रक्रियाओं का नाम ही पोषण है।
मूलरूप से पोषण की परिभाषा इस तरह से दे सकते हैं, आहार, पोषण तत्व व अन्य तत्व उनका प्रभाव और प्रतिक्रिया तथा स्वास्थ्य व बीमारी से उसका सम्बन्ध व संतुलन का विज्ञान ही पोषण है। यह उस क्रिया को बताता है जिसके द्वारा कोर्इ जीव miभोजन ग्रहण कर, पचाकर, अवशोषित कर शरीर में उसका वितरण कर उसे शरीर में समावेशित करता है तथा अपचित भोजन को शरीर से बाहर निकालता है। इतना ही नहीं पोषण का सम्बन्ध भोजन व उस भोजन के सामाजिक, आर्थिक व मनोवैज्ञानिक प्रभावों से भी है।
पोषक तत्व
स्वास्थ्य की परिभाषा
स्वास्थ्य उन कठिन परिभाषिक शब्दों में से एक है जिसका अधिकतर लोग पूरी तरह अर्थ जानते हुए भी उसकी परिभाषा पूर्ण रूप से नहीं दे पाते। समय-समय पर स्वास्थ्य की भिन्न-भिन्न परिभाषाएं दी गर्इ हैं जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं।
(क) निरोगी अथवा दर्द रहित शरीर, मसितष्क और आत्मा की उचित अवस्था ही स्वास्थ्य है
(ख) शरीर या मसितष्क का स्वस्थ होना उस व्यवस्था का नाम है जिसमें इसके कार्य पूर्णतया एवं कुशलतापूर्वक हो रहे हों।
(ग) मानव शरीरतन्त्रा की वह स्थिति अथवा गुण जो वंशगत और परिवेशगत प्रदत्त परिस्थितियों में शरीर तन्त्रा की उचित कार्य प्रणाली को अभिव्यक्त करता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा दी परिभाषा
इसके अनुसार स्वास्थ्य रोग का न होना या अशक्तता मात्रा नहीं, बलिक पूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक तन्दुरुस्ती की स्थिति है।
पिछले कर्इ वर्षों से इस परिभाषा का विस्तार हुआ जिसमें सामाजिक व आर्थिक रूप से गुणकारी जीवन व्यतीत करने की क्षमता को समिमलित किया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने प्रमुख तीन मापदण्डों पर विचार किया है और बहुत से मापदण्डों पर विचार कर सकते हैं जैसे आतिमक, भावात्मक, राजनीतिक व व्यवसायिक मापदण्ड।
1. शारीरिक मापदण्ड - यह समझना बहुत सरल है कि शारीरिक स्वास्थ्य की स्थिति सम्पूर्ण क्रियाष् के विचार में निहित है।
2. मानसिक मापदण्ड - मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य एक दूसरे से जुड़े हैं। यह केवल मानसिक बीमारी की अनुपस्थिति नहीं है। अच्छा मानसिक स्वास्थ्य जीवन के बहुत से अनुभवों को बताने की योग्यता रखता है।
3. सामाजिक मापदण्ड - अच्छी व्यवहारकुशलता निहित है एकरूपता और एकीÑत व्यकित में, व्यकित और समाज में, व्यकित और विश्व में, जिसमें कि वह रहता है। एक समुदाय का सामाजिक स्वास्थ्य उन्नति, चिंतन, विचारों और दूसरों के प्रति सहानुभूति जैसे कारकों पर निर्भर करता है। इसके अलावा यह शिक्षा, उत्पादन, स्वास्थ्य व व्यकितयों की सामाजिक सुरक्षा पर निर्भर करता है।
4. आèयातिमक मापदण्ड - आधुनिक जीवन पर तनाव व दबाव होने से स्वास्थ्य के मापदण्ड पर विचार करना अनिवार्य है। विश्व के साथ शानित सम्बन्ध बनाने से पहले यह अनिवार्य है कि व्यकित स्वयं आतिमक शानित को प्राप्त हो। आèयातिमक स्वास्थ्य नैतिक मूल्यों, संहिताओं, अभ्यासों व चिंतन इत्यादि के माèयम से प्राप्त किया जा सकता है।
5. व्यवसायिक मापदण्ड - व्यवसायिक मापदण्ड स्वास्थ्य का नया मापदण्ड है। इसका महत्त्व ज्यादा तब है, जब अचानक किसी व्यकित की नौकरी छूट जाती है या उसे सेवा-निवृत्ति लेनी पड़ती है।
स्वास्थ्य का निर्धारण
स्वास्थ्य अकेले में नहीं रहता। कुछ कारक होते हैं जो कि स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं फिर चाहे व्यकित अकेले में हो या फिर बाá समाज में जिसमें कि वह रहता है, यह कारक अंतरक्रिया करते हैं। यह अंतरक्रिया स्वास्थ्य को बढ़ावा अथवा उसे आघात पहुंचा सकती है। व्यकित का स्वास्थ्य और सम्पूर्ण समाज ऐसी बहुत सी अंतरक्रियाओं का परिणाम हो सकता है। स्वास्थ्य का निर्धारण इस प्रकार किया जा सकता है -
1. अनुवांशिकता - प्रत्येक व्यकित के शारीरिक व मानसिक गुण कुछ हद तक उसके गुण सूत्रों की प्रगति से निश्चित होते हैं जो कि उसके अभिभावकों के गुणसूत्रों से निशिचत होती है और ये गुणसूत्र उसे उसके अभिभावकों के संयोग।
2. वातावरण – हिप्पोरेट्स पहला विचारक था जिसने बीमारियों को वातावरण से जोड़ा जैसे कि मौसम, जल, भोजन, हवा आदि। सर्दियों के बाद पेत्तेंकोफेर ने (जर्मनी में) बीमारी और वातावरण के सम्बन्ध के विषय को नया जीवन प्रदान किया।
बाहय वातावरण उन चीजों से बना है जिससे व्यकित जनन के बाद सम्पर्क में आता है। इसे तीन घटकों में विभाजित किया जा सकता है।
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