एस्से ऑन यदि सूरज नहीं उठता तो इन हिंदी
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If the Sun doesn’t rise Essay:
सूरज वनस्पति और प्राणियों के जीवन का आधार माना जाता है। उसीसे हमें प्रकाश मिलता है, उष्णता मिलती है। उसीके कारण बादल बनते हैं तथा वर्षा होती है। वही अंधकार का नाश करते हमे जगाता है, सपनों की दुनिया से वास्तविक जगत में लाता है तथा सत्य और कर्तव्य का ज्ञान कराता है । पृथ्वी सूरज से ही उत्पन्न हुई है। इस प्रकार सूरज समस्त जगत का पिता है। ऐसे जीवनदाता सूरज यदि न निकले तो अधवा यदि सूरज न हो तो, सचमुच, यह सृष्टि अपने जीवन से हाथ धो बैठे।
सूरज न निकलने पर आर्थिक हानि
कहाँ सूरज का अनंत प्रकाश और कहाँ मनुष्य के टिमटिमाते दीप ! यदि सूरज न निकले तो दुनिया सदा के लिए घने अंधकार में डूब जाए। हमेशा सोते रहकर और सपने देखकर तो किसी का गुजारा नहीं चल सकता। जब सूर्यदेवता अपने प्रकाश का दान ही नहीं करेंगे तो बेचारा मनुष्य अँधेरे में क्या कर पाएगा? कहाँ तक दिए जलाए जाएंगे, कहाँ तक तेल और बाती जल-जलकर अंधकार से युद्ध करते रहेंगे और कहाँ तक बिजली की बत्तियाँ आदमी को राह दिखाती रहेंगी? दीपक और बिजली के बल्ब सदा जलते ही रहे तो न जाने कितना धन उन पर बरबाद होगा? क्या गरीब परिवार भूखे रहकर ही दिए जलाते रहेंगे?
स्वास्थ्य पर प्रभाव
सूरज से हमें जीवनशक्ति मिलती है। उसका प्रकाश रोगों का नाश करता है। वैज्ञानिकों के अनुसार सूर्यकिरणों से प्राप्त होनेवाला विटामिन ‘डी’ हमारे स्वास्थ के लिए बहुत उपयोगी है। सूर्य का प्रकाश नेत्ररोगों को दूर करने में सहायक होता है और उसके सेवन से स्वास्थ को लाभ ही लाभ है। इस प्रकार सूरज से ही हमें स्वास्थ्यमय जीवन का सुख मिलता है । सूरज के अभाव में यह सुख कहाँ नसीब होता?
प्रकाश का प्राकृतिक सौंदर्य
प्रभात के समय सूर्योदय का दृश्य कितना रमणीय होता है ! आकाश में सुनहरी किरणों का निकलना, फिर उनका झलमल-झलमल करते हुए धरती पर आना कितना सुंदर लगता है ! यदि सूर्योदय न होता हो तो हमें यह आनंद कैसे मिल पाता? तब पक्षियों का कलरव और मनुष्यों की चहल-पहल कब होती? तब कहाँ से नदियों की धारा श्वेत चमकीली साड़ी पहनती, कहाँ से ये पेड़-पौधे जीवन पाते, कैसे ये हरी-भरी पत्तियाँ मुस्कराती? फिर तो न सरोवरों में कमल खिलते और न पूनम का यह प्यारा-प्यारा चाँद अपनी किरणों से शीतलता और सुंदरता का इतिहास लिखता।
उपसंहार
सचमुच, यदि सूरज न निकलता तो न वर्षा होती और न किसी प्रकार की वनस्पति ही उग पाती । संसार प्रकाश के लिए तड़पता ही रह जाता और प्रकृति सुंदरता के लिए तरसती ही रह जाती। फिर तो सूरजमुखी का फूल सूरज की प्रतीक्षा में ही मुरझा जाता और चातक के प्यासे ओठों को कभी स्वाति का जल नसीब न होता। सचमुच, सूरज के अभाव में जगत और जीवन के अस्तित्व को कल्पना तक नहीं की जा सकती।
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