esaay on क्या कौरोना दौर में जागी मनुष्यता। in hindi....with 200-300 words....plz it's urgent........
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Explanation:
कोविड-19 और विश्व अर्थव्यवस्था
ALEXIS CROW
कोरोना वायरस का प्रकोप फैलने के साथ ही बहुत सी कंपनियां सीमित समय के लिए अपनी इन आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए वायरस प्रभावित क्षेत्रों के बजाय अन्य देशों की तरफ़ रुख़ कर रही हैं. ताकि वो अपने उत्पादनों की मांग पूरी कर सकें.
अंतरराष्ट्रीय संबंधआर्थिक क्षतिकोविड-19चीनवैश्विक अर्थव्यवस्थासार्स वायरसस्वास्थ्य देखभाल
जब साल 2020 की शुरुआत हुई थी, उस वक़्त अमेरिका की अर्थव्यवस्था अपने निरंतर विस्तार के 126वें महीने में प्रवेश कर रही थी. ये अमेरिका के इतिहास में आर्थिक प्रगति का सबसे लंबा दौर था. उस समय कई निवेशक और बड़ी कंपनियों के अधिकारी गुपचुप तरीक़े से ये सवाल उठा रहे थे कि, ‘अमेरिका की आर्थिक प्रगति का ये दौर कब तक चलने वाला है? आख़िर, वो कौन सी वजह होगी जो हमें अंतत: एक बार फिर आर्थिक सुस्ती के गर्त में धकेल देगी? और सुस्ती का ये दौर कितना गहरा और व्यापक होगा? इसकी वजह क्या होगी? ये कहां से आएगी?’ अब जबकि कोरोना वायरस का प्रकोप पूरी दुनिया में फैल चुका है. वित्तीय बाज़ारों में क़त्ल-ए-आम मचा हुआ है. निवेशकों को हर हफ़्ते ख़रबों डॉलर की क्षति हो रही है. आज दस वर्ष के अमेरिकी बॉन्ड पर रिटर्न एक प्रतिशत से भी कम रह गया है, तो बहुत से लोग ख़ुद को आर्थिक सुस्ती के लिए मानसिक तौर पर तैयार कर रहे हैं.
चलिए, कुछ समय के लिए हम वित्तीय बाज़ारों के हाल को छोड़ कर इसके इतर सोचते हैं. और अन्य आर्थिक गतिविधियों के बारे में विचार करते हैं. कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से पहले, दुनिया के कई बड़े निर्यातक देशों में उत्पादन सेक्टर का आउटपुट (PMI) 2019 में लगातार गिरावट की ओर बढ़ रहा था. व्यापारिक संघर्ष के तनावों की वजह से जो अनिश्चितता उत्पन्न हुई थी, उस कारण से जापान, जर्मनी और दक्षिणी कोरिया जैसे कई देशों में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर का आउटपुट क्षीण हो रहा था. और मैन्यूफ़ैक्चरिग का वैश्विक पीएमआई 50 प्रतिशत से भी नीचे चला गया था. जिसका मतलब था कि वर्ष 2019 में विश्व की अर्थव्यवस्था आधिकारिक रूप से सिमट रही थी. ‘पुराने औद्योगिक’ और सामान के उत्पादन की इस गिरावट के दौरान, सेवा क्षेत्र और उपभोक्ता बाज़ार के विस्तार के चलते विश्व अर्थव्यवस्था की गतिविधियों में प्रगति हो रही थी. दुनिया में रोज़गार के जो नए अवसर उत्पन्न हो रहे थे, फिर दुनिया के विकासशील देश हों या विकसित देश, दोनों ही में सेवा क्षेत्र और उपभोक्ता बाज़ार में ही रोज़गार के अधिकतर अवसर उत्पन्न हो रहे थे. इन्हीं के कारण वित्तीय बाज़ारों में उछाल आ रहा था और निवेश पर अच्छा रिटर्न मिल रहा था.
आज कोरोना वायरस के संक्रमण ने सीधे उपभोक्ता केंद्रों यानी चीन और एशिया की अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं पर प्रहार किया है. इसका नतीजा ये हुआ है कि विकास के इन दो क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां ठहर गई हैं. यहां तक कि शेयर बाज़ारों और निवेशकों का हौसला बढ़ाने वाले कई बयानों का असर देखने को नहीं मिल रहा है