Essay about rabindranath tagore in hindi about 500 words
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रबीन्द्र नाथ टैगोर एक ऐसे व्यक्तित्व थे जिन्होनें हर किसी के दिल में अपने लिए अमिट छाप छोड़ी है जिन्हें आज देश का बच्चा-बच्चा जानता है। रबीन्द्र नाथ टैगोर की ख्याति एक महान कवि के रुप में पूरे विश्व में फैली हुई है।
वे न सिर्फ एक विश्वविख्यात कवि थे बल्कि वे एक अच्छे साहित्यकार, कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, नाटककार, निबंधकारस, चित्रकार, महान विचारक और दार्शनिक भी थे। रबीन्द्र नाथ टैगोर विलक्षण प्रतिभा के धनी व्यक्तित्व थे जिन्हें गुरूदेव कहकर भी पुकारा जाता था।
भारत का राष्ट्र-गान रविन्द्र नाथ टैगोर की ही देन है। रबीन्द्रनाथ टैगोर को बचपन से ही कविताएं और कहानियां लिखने का बेहद शौक था। इसके साथ ही उन्हें प्रकृति से भी बेहद प्रेम था। कई बार तो वे प्रकृति को देखते-देखते इसी में खो जाया करते थे। और कल्पना किया करते थे।
आपको बता दें कि भारत के महान साहित्यकार रबीन्द्रनाथ टैगोर ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राष्ट्रीय चेतना को आकार देने में अहम भूमिका निभाई। इसके अलावा साल 1913 में, रबीन्द्र नाथ टैगोर को अपनी काव्य रचना ‘गीतांजलि’ के लिए साहित्य में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया और यह पुरस्कार प्राप्त करने वाले वे एशिया के पहले व्यक्ति थे।
वहीं भारतीय संस्कृति के सर्वश्रेष्ठ रूप से पश्चिमी देशों का परिचय और पश्चिमी देशों की संस्कृति से भारत का परिचय कराने में टैगोर ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका रही है और आमतौर पर उन्हें आधुनिक भारत का असाधारण सृजनशील कलाकार भी माना जाता है।