essay in 200words on aarakshan samasya tatha samadhan
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Essay on Aarakshan in Hindi 200 word
हमारे पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री ने एक बार कहा भी था “यदि कोई एक व्यक्ति भी ऐसा रह गया जिसे किसी रूप में अछूत कहां जाए, तो भारत को अपना सर शर्म से झुकाना पड़ेगा| वास्तव में आरक्षण में माध्यम है जिसके द्वारा जाति, धर्म, लिंग एवं क्षेत्र के आधार पर समाज में भेदभाव से प्रभावित लोगों को आगे बढ़ने का अवसर प्राप्त होता है, किंतु वर्तमान समय में देश में प्रभावी आरक्षण नीति को उचित नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि आज यह राजनेताओं के लिए सिर्फ वोट नीति बंद कर रहे गया है| वंचित वर्ग का निचला तबका आरक्षण के लाभ से आज भी अछूता है|
भारत संविधान में वंचित वर्गों के उत्थान के लिए विशेष प्रावधान का वर्णन इस प्रकार अनुच्छेद 15(समानता का मौलिक अधिकार) द्वारा राज्य किसी नागरिक के विरुद्ध केवल धर्म, मूल वंश, जाति, र्लिंग जन्म स्थान या इनमें से किसी एक के आधार पर कोई विभेद नहीं करेगा, लेकिन अनुच्छेद 15(4) के अनुसार इस अनुच्छेद की या अनुच्छेद 29 के खंड(2) की कोई बात राज्य को शैक्षिक अथवा सामाजिक दृष्टि से पिछड़े नागरिकों के किन्हीं वर्गों की अथवा अनुसूचित जाति एवं जनजातियों के लिए कोई विशेष व्यवस्था बनाने से नहीं रोक सकती अर्थात राज्य चाहे तो इनके उत्थान के लिए आरक्षण या शुल्क में कमी अथवा अन्य उपबंध कर सकता है| कोई भी व्यक्ति उसकी विधि-मान्यता पर हस्तक्षेप नहीं कर सकता कि यह वर्ग-विभेद उत्पन्न करते हैं|
हमारे पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री ने एक बार कहा भी था “यदि कोई एक व्यक्ति भी ऐसा रह गया जिसे किसी रूप में अछूत कहां जाए, तो भारत को अपना सर शर्म से झुकाना पड़ेगा| वास्तव में आरक्षण में माध्यम है जिसके द्वारा जाति, धर्म, लिंग एवं क्षेत्र के आधार पर समाज में भेदभाव से प्रभावित लोगों को आगे बढ़ने का अवसर प्राप्त होता है, किंतु वर्तमान समय में देश में प्रभावी आरक्षण नीति को उचित नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि आज यह राजनेताओं के लिए सिर्फ वोट नीति बंद कर रहे गया है| वंचित वर्ग का निचला तबका आरक्षण के लाभ से आज भी अछूता है|
भारत संविधान में वंचित वर्गों के उत्थान के लिए विशेष प्रावधान का वर्णन इस प्रकार अनुच्छेद 15(समानता का मौलिक अधिकार) द्वारा राज्य किसी नागरिक के विरुद्ध केवल धर्म, मूल वंश, जाति, र्लिंग जन्म स्थान या इनमें से किसी एक के आधार पर कोई विभेद नहीं करेगा, लेकिन अनुच्छेद 15(4) के अनुसार इस अनुच्छेद की या अनुच्छेद 29 के खंड(2) की कोई बात राज्य को शैक्षिक अथवा सामाजिक दृष्टि से पिछड़े नागरिकों के किन्हीं वर्गों की अथवा अनुसूचित जाति एवं जनजातियों के लिए कोई विशेष व्यवस्था बनाने से नहीं रोक सकती अर्थात राज्य चाहे तो इनके उत्थान के लिए आरक्षण या शुल्क में कमी अथवा अन्य उपबंध कर सकता है| कोई भी व्यक्ति उसकी विधि-मान्यता पर हस्तक्षेप नहीं कर सकता कि यह वर्ग-विभेद उत्पन्न करते हैं|
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