Essay in hindi भरतीय समाज और अंधविश्वास संकेत बिद्- 1. कठिनाईयों के सामना 2 प्रगति के बाधक 3. जागृति की आवश्यकता 4. धर्म के वास्तविक
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भारतीय समाज की जब बात की जाती है तो यह सामने आता है कि यहाँ ऐसे अनेक अंधविश्वास दिखाई देते हैं , जिनके कारण भारतीयों को व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है । हमारे समाज के अनेक
विश्वास जीवन की गतिशीलता के साथ न चलने के कारण पंगु हो गए हैं । अंधविश्वासों से चिपके हुए भारतीय अब दुख - कलेश को भोग रहे हैं । इन अंधविश्वासों में धर्म को खडिबद्धता , जादू - टोने में विश्वास , देवी - देवताओं के जी अबौद्धिक ब्रट्या तथा अन्य सामाजिक कुरीतियाँ हैं । इन सबके कारण इस वैज्ञानिक युग में भी भारत उतनी प्रगति नहीं कर रहा जितनी करनी चाहिए । भारतीय हिंदू समाज का सबसे बड़ा अंधविश्वास छुआछूत का विश्वास है । कुछ जातियों के अस्पृश्य मानकर उनका बहिष्कार करना , उनके साथ भोजन करना , साथ रहना , उठना - बैठना निषेध समझना अत्यंत ही वृणित कार्य है । इससे हमारा संपूर्ण समाज खोखला हो गया । भारतीय समाज का एक काफी बड़ा वर्ग जादू - टोने में विश्वास रखत या । यद्यपि अब बौद्धिकता के बढ़ने से उसकी और कम ध्यान दिया जाता है , लेकिन आज भी यह कहीं - कहीं जोकि रहकर हमारे समाज को कमजोर बना रहा है । देवी - देवताओं का नाम लेकर चढ़ाई जाने वाली बलि भी कई जगहों पर देख जा सकती है । बिल्ली का रास्ता काटना , छींकना , पीछे से आवाज़ देना , चलते हुए अँधेरा हो जाना आदि ऐसे अपशगुन मन गए हैं , जिनके कारण लोग अपने महत्त्वपूर्ण काम तक रोक देते हैं । हमारे समाज का सबसे बड़ा अंधविश्वास समग्र रूप से परंपराओं के प्रति अंध - भक्ति है । हम आज भी उन बातों से जुड़े हुए हैं , जो इस युग में अव्यावहारिक हो गई हैं । परंपराओं की अंध - आसक्ति ने हमारे विकास को रोक दिया है । आज आवश्यकता है हमारे भीतर जागृति की आवश्यकता है धर्म के वास्तविक रूप को समझकर उसका आचरण कर प्रगति की ओर बढ़ने की ।
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MARK AS BRAINLIEST
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