Essay in hindi on jab mein sharat karte hue pakdi gayi
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दोपहर के बाद हम सब बच्चे सड़क पर तरह-तरह के खेल खेलते और आपस में शरारतें और छेड़छाड़ किया करते थे । मैं बचपन में बहुत शरारती और उधमी था । जब मैं पगड़ी लगाये किसी व्यक्ति को सड़क से गुजरता देखता, तो मौका पाते ही पीछे से उसकी पगडी खींच कर भाग जाता ।
वह व्यक्ति गुस्से से गालियाँ देता । एक बार मैंने राह में बैलगाड़ी खड़ी देखी । गाडीवान गाड़ी से उतर कर कुछ काम से थोड़ी दूर चला गया । मैं गाड़ी पर चढ़ गया और बैलों की रस्सियाँ पकड़कर खींच दीं । बैलगाड़ी लेकर भाग पड़े । कुछ दूर निकला था कि गाड़ीवान चिल्लाता हुआ पीछे भागने लगा ।
मैं गाड़ी से कूद गलियों में भाग लिया । उस दिन मुझे बड़ा मजा आया । मैंने जब उस घटना को बड़े गर्व से अपनी मा को सुनाया, तो उन्होंने मुझे बहुत डांटा और ऐसी शरारतें करने से रोका । उन्होंने ईश्वर को धन्यवाद दिया कि मुझे कोई चोट नहीं आई ।
वह व्यक्ति गुस्से से गालियाँ देता । एक बार मैंने राह में बैलगाड़ी खड़ी देखी । गाडीवान गाड़ी से उतर कर कुछ काम से थोड़ी दूर चला गया । मैं गाड़ी पर चढ़ गया और बैलों की रस्सियाँ पकड़कर खींच दीं । बैलगाड़ी लेकर भाग पड़े । कुछ दूर निकला था कि गाड़ीवान चिल्लाता हुआ पीछे भागने लगा ।
मैं गाड़ी से कूद गलियों में भाग लिया । उस दिन मुझे बड़ा मजा आया । मैंने जब उस घटना को बड़े गर्व से अपनी मा को सुनाया, तो उन्होंने मुझे बहुत डांटा और ऐसी शरारतें करने से रोका । उन्होंने ईश्वर को धन्यवाद दिया कि मुझे कोई चोट नहीं आई ।
Alokssj43:
Ok ......
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hindi essay jub me shararat krete panda gya
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