Hindi, asked by gupta200717, 9 months ago

essay in hindi on swasth bharat ​

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Answered by Anonymous
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प्रस्तावना: स्वच्छता ना केवल हमारे घर सड़क तक के लिए ही जरूरी नहीं होती है। यह देश ओर राष्ट्र की आवश्यकता होती इससे ना केवल हमारा घर आँगन ही स्वच्छ रहेगा पूरा देश ही स्वच्छ रहेगा। इसी को मद्देनजर रखते हुए भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही स्वच्छ भारत अभियान जो कि हमारे देश के प्रत्येक गांव और शहर में पराम्भ की गई है । जो देश के प्रत्येक गली गांव की प्रत्येक सड़कों से लेकर शौचालय का निर्माण कराना और देश के बुनियादी ढांचे को बदलना ही इस अभियान का उद्देश्य है।

स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत

भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने महात्मा गांधी जी की जयंती 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की , स्वच्छ भारत अभियान को भारत मिशन और स्वच्छता अभियान भी कहा जाता है । महात्मा गांधी जी की जयंती के अवसर पर माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी महात्मा गांधी जी की 145 वी जयंती के अवसर पर इस अभियान की शुरुआत की 2 अक्टूबर 2014 को उन्होंने राजपथ पर जनसमूहों को संबोधित करते हुए राष्ट्रवादीओं से स्वच्छ भारत अभियान में भाग लेने और इसे सफल बनाने को कहा साफ-सफाई के संदर्भ में यह सबसे बड़ा अभियान है। साफ-सफाई को लेकर भारत की छवि को बदलने के लिए श्री नरेंद्र मोदी जी ने देश को एक मुहिम से जोड़ने के लिए जन आंदोलन बनाकर इसकी शुरुआत की ।

महात्मा गांधी जी का सपना

हमारे पूजनीय राष्ट्रपिता महात्मा गांधी स्वतंत्रता से पहले स्वच्छ रहना और इसके तहत स्वच्छता को उन्होंने ईश्वर भक्ति के बराबर माना स्वच्छता की शिक्षा को उन्होंने सभी को प्रदान करी उनका सपना था कि( स्वच्छ भारत ) इसके तहत वह सभी नागरिकों को एक साथ मिलकर देश को साफ रखने के बारे में सोचते थे इसी के तहत जिस आश्रम में वो रहते थे वहां रोजाना सुबह 4:00 बजे उठकर स्वयं सफाई करते थे । उन्होंने वर्धा आश्रम में अपना स्वम का शौचालय बनवाया था जिसको प्रतिदिन शुबह – शाम साफ भी करते थे । गांधी जी की यही स्वच्छ भारत के सपनों को पूरा करने के लिए श्री नरेंद्र मोदी जी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत करी।

Answered by priya3268
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Answer:

यदि हम स्वस्थ है तो हम एक साधारण भारत के नागरिक भी है। यदि हम अस्वस्थ है तो गरीब, अयोज्य और उपेक्षित भी है। किसी देश, जाति, समाज तथासंप्रदाय की उन्नति तभी संभव है, जबकि वे स्वस्थ और स्फूर्त है। संसार के इतिहास को उठाकर इस बात का अध्ययन करें कि कौन- सा देश कब उन्नतिशील, स्मृद्धिशील, सभ्य और सुसंकृत रहा, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि कोई भी देश तभी श्रेष्ठ रहा जबकि उससे नागकि स्वस्थ रहें। विश्व स्वास्थ्य संगठन की विभिन्न रिपोर्टों से भी यह सिद्ध हो रहा है। वास्तव में जीने के उद्देश्य स्वस्थ रहने से है। अस्वस्थ व्यक्ति न केवल स्वंय दुखी, रोगी और उपेक्षित रहते हैं अपितु वह सारे समाज तथा विश्व के लिए भार हैं। उससे सभी की प्रगति रुक जाती है या उनकी प्रगति में रुकावटें पैदा होती हें। वस्तुतया स्वस्थ व्यक्ति या समाज का जागरुक एंव उपयोगी है।

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