essay in Hindi on vraksha ropan
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धर्मशास्त्रों में वृक्षारोपण को पुण्यदायी कार्य बताया गया है । इसका कारण यह है कि वृक्ष धरती पर जीवन के लिए बहुत आवश्यक हैं । भारतवर्ष में आदि काल से लोग तुलसी, पीपल, केला, बरगद आदि पेड़-पौधों को पूजते आए हैं । आज विज्ञान सिद्ध कर चुका है कि ये पेडू-पौधे हमारे लिए कितने महत्त्वपूर्ण हैं ।
वृक्ष पृथ्वी को हरा- भरा बनाकर रखते हैं । पृथ्वी की हरीतिमा ही इसके आकर्षण का प्रमुख कारण है । जिन स्थानों में पेड़-पौधे पर्याप्त संख्या में होते हैं वहाँ निवास करना आनंददायी प्रतीत होता है । पेड़ छाया देते हैं । वे पशु-पक्षियों को आश्रय प्रदान करते हैं । पेड़ों पर बंदर, लंगूर, गिलहरी, सर्प, पक्षी आदि कितने ही जंतु बड़े आराम से रहते हैं । ये यात्रियों को सुखद छाया उपलब्ध कराते हैं । इनकी ठंडी छाया में मनुष्य एवं पशु विश्राम कर आनंदित होते हैं ।
वृक्ष हमें क्या नहीं देते । फल, फूल, गोंद, रबड़, पत्ते, लकड़ी, जड़ी-बूटी, झाडू, पंखा, चटाई आदि विभिन्न प्रकार की जीवनोपयोगी वस्तुएँ पेड़ों की सौगात होती हैँ । ऋषि-मुनि वनों में रहकर अपने जीवन-यापन की सभी आवश्यक वस्तुएँ प्राप्त कर लेते थे । जैसे-जैसे सभ्यता बड़ी लोग पेड़ों को काटकर उनकी लकड़ी से घर के फर्नीचर बनाने लगे । उद्योगों का विकास हुआ तो कागज, दियासलाई, रेल के डिब्बे आदि बनाने के लिए लोगों ने जंगल के जंगल साफ कर दिए । इससे जीवनोपयोगी वस्तुओं का अकाल पड़ने लगा । साथ ही साथ पृथ्वी की हरीतिमा भी घटने लगी ।
वृक्षों की संख्या घटने के दुष्प्रभावों का वैज्ञानिकों ने बहुत अध्ययन किया है । उन्होंने निष्कर्ष निकाला है कि वृक्षों के घटने से वायु प्रदूषण की मात्रा बड़ी है । वृक्ष वायु के प्राकृतिक शोधक होते हैं । ये वायु से हानिकारक कार्बन डायऑक्साइड का शोषण कर लाभदायक ऑक्सीजन छोड़ते हैं । ऑक्सीजन ही जीवन है और जीवधारी उसे लेकर ही जीवित रहते हैं । अत : धरती पर वृक्षों की पर्याप्त संख्या का होना बहुत आवश्यक होता है ।
वृक्ष वर्षा कराते हैं । ये जहाँ समूहों में होते हैं वहाँ बादलों को आकर्षित करने की क्षमता रखते हैं । वृक्ष मिट्टी को मजबूती से पकड़े रखते हैं और इसका क्षरण रोकते हैं । ये बाढ़ और अकाल दोनों ही परिस्थितियों को रोकने में सहायक होते हैं । ये मरुभूमि के विस्तार को कम करते हैं । ये वायुमंडल के ताप को अधिक बढ़ने से रोकने में बहुत मदद करते हैं । जहाँ अधिक पेडू-पौधे होते हैं वहाँ गर्मियों में शीतल हवा चलती है । इसीलिए समझदार लोग अधिक से अधिक संख्या में पेड़ लगाने की बात करते हैं ।
संतुलित पर्यावरण के लिए किसी बड़े क्षेत्र के एक-तिहाई हिस्से पर वनों का होना आवश्यक माना जाता है । लेकिन वर्तमान समय में वन इस अनुपात में नहीं रह गए हैं । इसके हानिकारक परिणाम सर्वत्र दृष्टिगोचर हो रहे हैं । अत : वर्तमान समय की आवश्यकता है कि हर कोई वृक्षारोपण करे । एक पेड़ काटा जाए तो तीन पेड़ लगाए जाएँ । मास का एक दिन वृक्षारोपण के लिए समर्पित हो । इस कार्य में विद्यार्थियों को सहभागी बनाया जाए । अनुर्वर भूमि पर, सड़कों के किनारे, पहाड़ी स्थलों पर, रिहायशी इलाकों में और जहाँ थोड़ा भी रिक्त स्थान हो पेड़ लगा दिए जाएँ ।
पेड़ बचेंगे तो जीव-समुदाय बचेगा । पेड़ रहेंगे तो लकड़ी की आवश्यकता की पूर्ति होगी और उद्योगों को कच्चा माल मिलता रहेगा । हमारी आगामी पीढ़ी को पेड़ों के अभाव में कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ेगा । पेड़ और वन होंगे तो वन्य-जीवन को आश्रय मिलता रहेगा । दुर्लभ वन्य प्राणियों को विलुप्त होने से बचाया जा सकेगा ।
इसलिए सब लोगों को पेड़ लगाने का संकल्प लेना चाहिए । लोगों को वन-महोत्सव और वृक्षारोपण के अभियान में सक्रिय भागीदारी करनी चाहिए । सरकार उन तत्वों से सख्ती से निबटे जो वृक्षों और वनों की अंधाधुंध कटाई में संलिप्त हैं ।