Hindi, asked by cavin, 1 year ago

Essay of 200-250 words in Hindi on mere jeevan ka lakshaya scientist banna

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Answered by gkhuteta999
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जो व्यक्ति चांदी प्राप्त करने का विचार करता है वह सोना प्राप्त करने वाले कार्य कर ही नहीं सकता । इसलिये जीवन में लक्ष्य सदैव बड़ा ही होना चाहिये । यह संसार कर्मभूमि है और मानव योनि कर्म योनि है । इस ससार में रहकर सबको कुछ न कुछ कर्म करना पड़ता है ।

यह कर्म किसी दिशा अथवा लक्ष्य को अवश्य समर्पित होता हैं दिशा अथवा लक्ष्य के बिना कर्म वास्तव में कर्म नहीं होता । अत: कर्म करने से पूर्व लक्ष्य निर्धारित किया जाना चाहिए । अब प्रश्न यह है कि जीवन का क्या लक्ष्य होना चाहिए ? कर्म किस दिशा अथवा लक्ष्य को समर्पित होने चाहिए ? आज संसार पैसा कमाने के पीछे लग रहा है ।

वह अधिक से अधिक पैसा कमाना चाहता है ।पैसा कमाने के लिए वह उचित – अनुचित, ठीक अथवा गलत कोई भी साधन अपनाने को तैयार है । धर्म अथवा नैतिकता के सिद्धान्त उसके लिए पुराने पड़ गए हैं । पैसा कमाने की होड़ सी लग गई है तो क्या पैसा कमाना ही जीवन का लक्ष्य है ? क्या पैसे से सुख और शान्ति प्राप्त हो जाती है ? क्या पैसे से वर्तमान और भविष्य तथा लोक और परलोक संवर जाते हैं ? शायद नहीं कदापि नहीं ।

बेईमानी से कमाया हुआ पैसा व्यक्ति को रोटी तो दे सकता है किन्तु भूख नहीं। यह पैसा व्यक्ति को नरम बिस्तर तो दे सकता है किन्तु नींद नहीं । अर्थात् ऐसा पैसा उसे भोग विलास की वस्तुएँ दे सकता है किन्तु मन की शान्ति नहीं । पैसे वालों को प्राय: दु:ख और कष्ट में देखा गया है । वे अधिक अशान्त रहते हैं ।

यदि पैसा ही अपने आप में लक्ष्य है तो धनी लोग सुखी क्यों नहीं होते हैं ? वे प्राय: उच्च रक्तचाप अथवा हृदय रोग से पीड़ित क्यों रहते हैं ? यदि पैसा तथा सांसारिक वैभव में सुख था तो महात्मा बुद्ध, स्वामी दयानंद, स्वामी रामतीर्थ तथा भगवान महावीर ने क्यों घर को त्यागा ? मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने राजपाट छोड़कर वनवास जाना क्यों स्वीकार किया ?

अत: यह सर्वविदित है कि पैसा अपने आप में जीवन का लक्ष्य नहीं है । यह साधन मात्र तो हो सकता है । फिर जीवन का क्या लक्ष्य हो सकता है ? ऊँचा पद ? ऊँचे पद का अंतत: उद्‌देश्य तो पैसा कमाना ही है । अत: पैसे की तरह ऊँचा पद भी मात्र एक साधन है ।

सत्ता अथवा शक्ति जीवन का लक्ष्य नहीं हो सकती क्योंकि सत्ता मनुष्य को भ्रष्ट वनाती है । सत्ता से वह दुर्गुण तथा दुर्व्यसनों में फंसता है और अंतत: पतन को प्राप्त हो जाता है । इसका अर्थ यह है कि जीवन का लक्ष्य न पैसा है न पद और न ही सत्ता और शक्ति ।

Being a Scientist cannot be included as it is a very permulated topic and if included in the essay, would be irrelevant. Either, you can say an essay on the topic "The aim of your life" only.
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