Essay of 250-300 words in hindi on 'Bheeshan Agnikand'.
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मेरे सामने एक दिन हमारे पास वाली इमारत में आग लग गई। चूंकि आग मेरे सामने लगी थी। अतः मैंने तुरंत कदम उठाया और दमकल केंद्र में फोन कर दिया। लेकिन आग इतनी भयानक थी कि देखते ही देखते आग सारी इमारत में फैल गई। मैंने आव देखा न ताव और अपने घर की रसोई से पानी का पाइप लगा दिया। चूंकि इमारत मेरे घर की रसोई की खिड़की के सामने थी। पास वाली इमारत मेरे घर से 15 फुट दूरी पर थी। अतः पाइप से पानी डालना कठिन नहीं था। हम दोनों इमारतों के मध्यम से गली निकलती थी। मेरी इस हरकत पर लोग चिल्लाए परन्तु जब लोगों का ध्यान उस ओर गया तो लोग हरकत में आए । उन्होंने तुरंत ही अपने घरों से लाकर गद्दे बिछाना आरंभ कर दिया। मैंने पानी के माध्यम से बालकनी पर आग को फैलने से काबू पाने का प्रयास किया। इस तरह लोगों ने कूद-कूद कर अपनी जान बचायी। जिस स्थान पर मैंने पानी डाला वहाँ पर आग का प्रभाव अधिक नहीं रहा और इस तरह से सबको बचाया जा सका। लेकिन बिल्डिंग को आग की लपटों से बचाया नहीं जा सका। यदि मैं समय रहते कार्य नहीं करता तो यह अग्निकांड कितनो की जान लील जाता।
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