Essay on agar mai jadugar hota
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Explanation:
यदि मैं जादूगर होता
काम अनेक तरीका एक
जादू की छड़ी छूकर
उलझन सुलझाता
नाम अपना करवाता।
काम कोई भी होता
स्कूल का होमवर्क
या मम्मी का वर्क
छड़ी घुमाकर
झटपट कर जाता ।
न मम्मी की डाँट
न पापा की फटकार
मेरे काम हो जाते,
झटपट सरकार।
दोस्तों में हीरो होता,
सब पर जमाता धाक
जादूगर के कारनामों से
,करता दिलों पर राज़।।
गिलि गिलि छू गिलि गिलि छू
चाँद को बस में
कर लेता लेता यूँ ,
गेंद बनाकर कभी खेलता
कभी बिछौना बना कर सोता यूँ
गिलि गिलि छू गिलि छू।
सबके मन की बात समझकर
संकट सबके कर देता दूर ,
पूरी दुनिया मेरी मित्र बन जाती
और मैं मम्मी पापा का सपूत ।
- हमें विश्वास है कि हमारे पाठक स्वरचित रचनाएं ही इस कॉलम के तहत प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे इस सम्मानित पाठक का भी दावा है कि यह रचना स्वरचित है।
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