essay on agriculture of sikkim in hindi
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हरित क्रांति से उत्पादन तो बढ़ गया था लेकिन इससे हमारी खेती समेत जल, वायु ज़मीन सब पर असर पड़ना भी शुरू हो गया था। अब इस स्थिति में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। भारत का सिक्किम दुनिया का ऐसा पहला राज्य है जहां पूर्ण रूप से ऑर्गेनिक खेती होती है। आज सिक्किम पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बन गया है।
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अनाज हमारी सबसे मूलभूत जरूरतों में शामिल है। 1960 के दशक में भारतीय इतिहास में हुई हरित क्रान्ति से हमने पर्याप्त अनाज भंडार तो जमा कर लिया था लेकिन इसी के साथ हमारे देश में केमिकल खाद और कीटनाशकों का भी आगमन हो चुका था।
हरित क्रांति से उत्पादन तो बढ़ गया था लेकिन इससे हमारी खेती समेत जल, वायु ज़मीन सब पर असर पड़ना भी शुरू हो गया था।
अब इस स्थिति में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। भारत का सिक्किम दुनिया का ऐसा पहला राज्य है जहां पूर्ण रूप से ऑर्गेनिक खेती होती है।
आज सिक्किम पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बन गया है। अपनी इस अपार सफलता के लिए सिक्किम को संयुक्त राज्य ने सर्वश्रेष्ठ नीतियों के लिए ऑस्कर सम्मान से भी नवाजा हुआ है।
ऐसे में, ये जानना दिलचस्प होगा कि क्या है जैविक खेती? सिक्किम ने किन नीतियों पर चलकर खुद को 100 प्रतिशत ऑर्गेनिक राज्य बना लिया-
संयुक्त राष्ट्र ने किया सम्मानित
साल 2003 में सिक्किम राज्य सरकार ने एक ऑर्गेनिक स्टेट में बदलने का संकल्प लिया। जिसके बाद साल 2016 में अपनी नीतियों और प्रयासों से सिक्किम दुनिया का सबसे पहला ऑर्गेनिक राज्य घोषित हुआ।
इसके लिए संयुक्त राज्य के खाद एवं कृषि संगठन (FAO) ने सिक्किम को अपनी सर्वश्रेष्ठ नीतियों के लिए ऑस्कर अवार्ड दिया। यहाँ सौ प्रतिशत ऑर्गेनिक खेती होती है। करीब पच्चीस नामांकित राज्यों को पछाड़कर सिक्किम को यूएन ने ये खिताब दिया।
ऑर्गेनिक फार्मिंग की वजह से 66,000 किसानों को फायदा मिला। यही नहीं इस वजह से सिक्किम में आज के समय में करीब 50 प्रतिशत पर्यटन में भी इज़ाफा हुआ है। यह इज़ाफा साल 2014 से 2017 के बीच देखने को मिला।
संयुक्त राज्य ने इस पुरस्कार को देते समय सिक्किम के इसे भूख और गरीबी से लड़ने और पर्यावरण की रक्षा करने वाला कदम बताया था।
जैविक खेती सदाबहार प्राचीन पद्धति है जिससे पर्यावरण शुद्ध बना रहता है और भूमि का प्राकृतिक स्वरूप भी बना रहता है। इसके प्रयोग से मिट्टी उपजाऊ रहती है और सूखे जैसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है।
जैविक खेती में रासायनिक उर्वरकों की जगह जीवाश्म खादों का प्रयोग किया जाता है। साथ ही, खरपतवार कीटनाशकों की जगह जैविक खाद का प्रयोग किया जाता है।
जैविक खेती में गोबर खाद, कम्पोस्ट खाद, हरी खाद, बायो-पेस्टिसाइड, केंचुआ खाद, नीम खली, लेमन ग्रास और फल के अवशेष का प्रयोग किया जाता है। इसमें जीवाणु कल्चर फॉलो होता है।
सिक्किम को ऑर्गेनिक राज्य बनाने के लिए 75 हज़ार हेक्टेयर जमीन को जैविक में बदला गया। 15 साल पहले तक तत्कालीन मुख्यमंत्री पवन चामलिंग ने इस योजना की शुरुआत की।
इसके लिए केमिकल यानी रासायनिक कीटनाशकों की जगह जैविक इस्तेमाल पर जोर दिया। अपनी इस कार्य योजना में सिक्किम सरकार ने केमिकल खाद और कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगा दिया।
साथ ही, इस कानून का उल्लंघन करने पर एक लाख के जुर्माने समेत तीन महीने की कैद भी हो सकती है।
इसके लिए उन्होंने सिक्किम राज्य बोर्ड का गठन भी किया था। देश-विदेश के कई कृषि विकास और शोध से जुड़ी संस्थाओं के साथ साझेदारी भी की गई। इसमें स्विट्ज़रलैंड के जैविक अनुसंधान को भी शामिल किया गया था।
सिक्किम में 8 लाख 35 हज़ार हेक्टेयर ज़मीन पर जैविक खेती हुई, जिससे करीब 4 लाख किसानों को फायदा पहुंचा है।
पहले 50 हज़ार हेक्टेयर ज़मीन को कवर करने के लक्ष्य रखा गया, करीब ढाई हज़ार फार्मर इंटरेस्ट ग्रुप्स बनें जिनसे लगभग 45 हज़ार किसान जैविक योजना से जुड़े।
जैविक खेती के लिए गांव पंचायतों को क्लस्टर के रूप में विकसित करने पर ज़ोर दिया गया। इस तरह सिक्किम की प्लानिंग काम आई।
ऑर्गेनिक फार्मिंग को लेकर जागरूकता फैलाई गई। इसके लिए ऑर्गेनिक फार्म्स, ऑर्गेनिक स्कूल और घर-घर में जाकर ऑर्गेनिक खादों से लोगों को अवगत करवाया। साथ ही, खेती के लिए पोषण प्रबंधन, तकनीक, कीट प्रबंधन और प्रयोगशालाएं भी शुरू की।
इसके अलावा, अम्लीय भूमि उपचार, जैविक पैकिंग समेत अनेकों जागरूकता अभियान चलाएं। दिलचस्प बात तो यह है कि सिक्किम की आय और उत्पादन में कमी देखने को मिल रही थी, जिसके बाद राज्य ने ऑर्गेनिक खेती में शिफ्ट होने का फैसला लिया था।
पूर्ण रूप से ऑर्गेनिक राज्य में तब्दील होने की राह आसान नहीं थी। राज्य सरकार ने इसके लिए पहले गाँवों को गोद लिया और उन्हें बायो-विलेज में तब्दील करने का संकल्प किया।
उसके बाद खाद संबंधी दिए जा रहे कोटे को बंद किया गया और सभी को ऑर्गेनिक खाद उपलब्ध कराए गए। साथ ही, लोगों को खेती के लिए जैविक प्रमाण पत्र भी दिए गए।
इन सब कदमों को उठाने के बाद से सिक्किम की खेती का दायरा बढ़ गया। वहां 22 लाख हेक्टेयर से ज्यादा उत्पादन हुआ।
जैविक खेती के हैं बहुत फायदे
आज के समय में जैविक खेती तेज़ी से लोकप्रिय हो रही है। भारत समेत पूरा विश्व इसे अपना रहा है। चूँकि इसके फायदे ही इतने सारे हैं कि यह पर्यावरण की सुरक्षा के साथ-साथ हम इंसानों को बेहतर अनाज देता है।
आर्गेनिक फार्मिंग से खेती के मित्र कीटों का संरक्षण होता है। इससे भू-जल स्तर में इज़ाफा होता है। साथ ही सबसे बड़ी बात इससे कृषि लागत घटने के साथ उत्पादन की गुणवत्ता भी बढ़ती है।
इससे बैलेंस फार्मिंग समेत इकोलॉजी अच्छे से काम करती है। फसलों का चक्र पालन होता है जिससे उन्हें उचित पोषण मिलता है।
एक आंकड़े के अनुसार, किसान अपनी खेती की फसल का सिर्फ 25 से 40 प्रतिशत हिस्सा ही इस्तेमाल कर पाता है। वहीं, 600 बिलियन टन कृषि अवशेषों को अपने खेत को फिर से नई फसल उगाने के लिए तैयार करने के लिए जला देते हैं।
साल 2025 तक देश में जैविक खेती का करीब 75 हज़ार करोड़ रुपए का कारोबार होने का अनुमान है। ऐसे में, इसमें आधुनिक तकनीकों के प्रयोग के साथ-साथ लोगों को जैविक खेती को लेकर प्रशिक्षण देने की जरूरत है।
चूँकि जब यह एक बड़े पैमाने पर होना शुरू हो जाएगा तब बाज़ार में इससे जुड़ी बिक्री और खरीद भी बढ़ जाने की संभावना है।