Hindi, asked by munawwarali6180, 1 year ago

Essay on an accident i can never forget in hindi

Answers

Answered by Chiragmehna
9
Once, I got into the orchard and climbed up a huge mango tree. The owner saw me, and unnoticed by me put a toy dog looking like a real dog at the foot of that tree. After eating my fill and filling my pockets with mangoes, I thought of getting down. It was then that my eyes fell on the dog. My blood ran cold. I waited and waited for the dog to go but it remained there. Deciding to face the consequences of my theft, I jumped down.

Imagine my surprise when I found that the dog which had frightened me to the bone was just a stuffed one! I started laughing helplessly at myself. The owner heard me. I was caught. He was a kind man. On my begging forgiveness he let me go with just a kind word of advice. Can I ever forget this incident?



Answered by Priatouri
4

एक अविस्मरणीय घटना |

Explanation:

एक बार विद्यालय में हमारी अध्यापिका जी ने हमें विद्यालय में अपने द्वारा बनाए गए चित्रों को लाने के लिए कहा। इन चित्रों से प्राप्त अंक हमारे सालाना रिकॉर्ड में दर्ज होने थे। कुछ कारणवश में अपना चित्र विद्यालय ना ले जा सकी। जब मेरी सहेली ने अध्यापिका जी के बुलाने पर अपना चित्र प्रस्तुत किया तो उसे अच्छे अंक मिल गए। लेकिन अब जो मेरी बारी आई तो मेरे पास कोई चित्र ही नहीं था प्रस्तुत करने के लिए इसलिए मैंने अपनी सहेली से उसका चित्र मांग कर अध्यापिका जी को दिखा दिया।  

चित्र देखकर अध्यापिका जी को याद आया कि यह चित्र तो अभी दिखाया जा चुका है फिर दोबारा कैसे दिखाया जा रहा है। उन्होंने मुझसे सवाल किए कि क्या यह तुम्हारा चित्र है? उस समय अंक प्राप्त करने की चाह में मैंने अध्यापिका जी से झूठ बोल दिया कि जी हां यह मेरा चित्र है। मेरे झूठ सुनकर अध्यापिका जी बहुत गुस्से में हो गई और उन्होंने बुलाया और कहा तुम अपना चित्र भी लेकर आओ।

जब मेरी सहेली अपना चित्र लाने में सक्षम ना रही तो उसने अध्यापिका जी को बता दिया कि मैंने उसका चित्र अंक प्राप्त करने के मकसद से उन्हें दिखाया है। ऐसा सुनकर अध्यापिका जी बहुत गुस्से में हो उठी और मुझे बहुत डांट लगाई।  

मैंने फिर अध्यापिका जी से माफी मांगी और कहा मैं भविष्य में कभी ऐसी भूल नहीं करूंगी कृपा आप मेरे अंक ना काटे। मैंने दो दिन का समय मांगा और फिर अपने चित्र बनाकर अध्यापिका जी को प्रस्तुत किया। जिस पर फिर अध्यापिका जी ने मुझे शाबाशी दी।

यह एक ऐसी घटना है जिसे मैं अपने जीवन में कभी नहीं भुला पाऊंगी।

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