Hindi, asked by kumarshala3, 7 months ago

essay on atmanirbhar abhiyan in hindi

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Answered by NikhilKatkar
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Answer:

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Explanation:

हाल ही में भारत से दुनिया की उम्मीदें बढ़ी हैं, क्योंकि COVID-19 महामारी संकट के दौरान भारत ने दुनिया भर में विश्वास जीता है, अत: कॉर्पोरेट सेक्टर को इन अनुकूल परिस्थितियों का लाभ उठाना चाहिये।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लिये स्थानीय उद्यमों के विकास पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।

आत्मनिर्भर भारत:

भारत 'वसुधैव कुटुंबकम्' की संकल्पना में विश्वास करता है। चूँकि भारत दुनिया का ही एक हिस्सा है, अत: भारत प्रगति करता है तो ऐसा करके वह दुनिया की प्रगति में भी योगदान देता है।

‘आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण में वैश्वीकरण का बहिष्करण नहीं किया जाएगा अपितु दुनिया के विकास में मदद की जाएगी।

आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा के प्रथम चरण में चिकित्सा, वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, प्लास्टिक, खिलौने जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा तथा द्वितीय चरण में रत्न एवं आभूषण, फार्मा, स्टील जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा।

आयात में कटौती के लिये 10 क्षेत्रों की पहचान:

सरकार ने आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा में उन 10 क्षेत्रों की पहचान की है, जिनमें घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा। सरकार ने इन 10 क्षेत्रों के आयात में कटौती का भी निर्णय किया है।

इसमें फर्नीचर, फूट वेयर और एयर कंडीशनर, पूंजीगत सामान तथा मशीनरी, मोबाइल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स, रत्न एवं आभूषण, फार्मास्यूटिकल्स, टेक्सटाइल आदि शामिल हैं।

भारत का आयात बिल:

वाणिज्य मंत्रालय ने अनुसार, भारत का कमोडिटी आयात बिल, अप्रैल 2019 से मार्च 2020 के बीच 467.2 बिलियन डॉलर रहा।

इसमें चमड़े तथा चमड़े से निर्मित उत्पाद 1.01 बिलियन डॉलर, कीमती और अर्द्ध-कीमती पत्थर लगभग 22.4 बिलियन डॉलर, इलेक्ट्रिकल और गैर-इलेक्ट्रिकल मशीनरी 37.7 बिलियन डॉलर तथा मशीन टूल्स का आयात लगभग 4.2 बिलियन डॉलर रहा।

आत्मनिर्भर भारत अभियान की दिशा में प्रमुख घोषणा:

12 मई, 2020 को प्रधानमंत्री ने ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ का आह्वान करते हुए 20 लाख करोड़ रुपए के विशेष आर्थिक और व्यापक पैकेज की घोषणा की थी। साथ ही उन्होंने ‘आत्मनिर्भर भारत’ के पाँच स्तंभों यथा अर्थव्यवस्था, अवसंरचना, प्रौद्योगिकी, गतिशील जनसांख्यिकी और मांग को भी रेखांकित किया था।

आत्मनिर्भर राहत पैकेज़ के माध्यम से न केवल सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (Micro, Small and Medium Enterprises-MSMEs) क्षेत्र में सुधारों की घोषणा की गई, अपितु इसमें दीर्घकालिक सुधारों; जिनमें कोयला और खनन क्षेत्र जैसे क्षेत्र शामिल है, की घोषणा की गई थी।

अभियान के समक्ष संभावित चुनौतियाँ:

'अत्मनिर्भार भारत के निर्माण' के साथ अनेक जोखिम जुड़े हैं, क्योंकि इसके लिये बहुत अधिक वित्तीय और तकनीकी संसाधनों की आवश्यकता होगी।

भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता का स्तर वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा के अनुकूल नहीं है।

‘विश्व व्यापार संगठन’ में भारत द्वारा आयात में कटौती की दिशा में अपनाए जाने वाले उपायों को चुनौती दी जा सकती है।

आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा में उठाए जाने वाले कदम :

भारत को व्यापार में वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा बनाने के लिये उत्पादों की गुणवत्ता नियंत्रण बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।

भारत को इच्छाशक्ति (Intent), समावेशन (Inclusion), निवेश (Investment), बुनियादी ढाँचा (InfraMstructure), और नवाचार (Innovation) पर ध्यान देने की ज़रूरत है।

21वीं सदी के भारत का निर्माण करने की दिशा में भारत को भविष्य में और अधिक संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता हो सकती है।

निष्कर्ष:

आत्मनिर्भर भारत अभियान के समक्ष अनेक चुनौतियों के होने के बावजूद, भारत को औद्योगिक क्षेत्र में मज़बूती के लिये उन उद्यमों में निवेश करने की आवश्यकता है जिनमें भारत के वैश्विक ताकत के रूप में उभरने की संभावना है।

देश के नागरिकों का सशक्तीकरण करने की आवश्यकता है ताकि वे देश से जुड़ी समस्याओं का समाधान कर सके तथा बेहतर भारत का निर्माण करने में अपना योगदान दे सके।

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