ESSAY ON BEROZGARI KI SAMASYA
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वास्तव में बेरोजगारी कि समस्या एक दानव की तरह हमारे देश के नवयुवकों को खा रही हैI
एक नौजवान जब पढ़ाई करता है, अपने क्षेत्र में विशेष ज्ञान प्राप्त करता है फिर नौकरी के लिए भटकता फिरता है और जब उसके हाथ केवल निराशा ही लगती है तब उसका आत्मविश्वास डगमगाने लगता हैI ऐसे ही कई बेरोजगार नवयुवक गलत रास्ते अपनाने लगते हैं, बुरी आदतों का शिकार बनते हैं और समाज के लिए समस्याएँ उत्पन्न करते हैंI विचार किया जाये तो मुख्य रूप से गाँवों से लोग बड़ी संख्या में शहरों में आना, दूषित शिक्षा प्रणाली, बढ़ती जनसंख्या जैसे कारण इस समस्या के मूल में दिखाई देते हैंI अतः बेरोजगारी कि समस्या को दूर करने के लिए हमें इन कारणों से निपटना होगाI
कृषि का समुचित विकास आवश्यक हैI शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन करके उसे व्य्वसाय से जोड़ा जाये, जनसंख्या नियंत्रण के और सजग प्रयास हों, साथ ही यह भी आवश्यक है कि संपूर्ण राष्ट्र के लिए एक व्यापक रोजगार के नये अवसर उपलब्ध करवाए जाएँI सरकार द्वारा इस सम्बन्ध में अनेक उपाय किये जा रहे हैं किंतु और अधिक सजग प्रयासों कि आवश्यकता हैI
एक नौजवान जब पढ़ाई करता है, अपने क्षेत्र में विशेष ज्ञान प्राप्त करता है फिर नौकरी के लिए भटकता फिरता है और जब उसके हाथ केवल निराशा ही लगती है तब उसका आत्मविश्वास डगमगाने लगता हैI ऐसे ही कई बेरोजगार नवयुवक गलत रास्ते अपनाने लगते हैं, बुरी आदतों का शिकार बनते हैं और समाज के लिए समस्याएँ उत्पन्न करते हैंI विचार किया जाये तो मुख्य रूप से गाँवों से लोग बड़ी संख्या में शहरों में आना, दूषित शिक्षा प्रणाली, बढ़ती जनसंख्या जैसे कारण इस समस्या के मूल में दिखाई देते हैंI अतः बेरोजगारी कि समस्या को दूर करने के लिए हमें इन कारणों से निपटना होगाI
कृषि का समुचित विकास आवश्यक हैI शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन करके उसे व्य्वसाय से जोड़ा जाये, जनसंख्या नियंत्रण के और सजग प्रयास हों, साथ ही यह भी आवश्यक है कि संपूर्ण राष्ट्र के लिए एक व्यापक रोजगार के नये अवसर उपलब्ध करवाए जाएँI सरकार द्वारा इस सम्बन्ध में अनेक उपाय किये जा रहे हैं किंतु और अधिक सजग प्रयासों कि आवश्यकता हैI
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