Essay on bhagat singh in hindi with denotation points class 9
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भगत सिंह निस्संदेह भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास में सबसे प्रभावशाली क्रांतिकारियों में से एक है। उन्होंने न केवल स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई, बल्कि कई अन्य युवाओं को भी इसमें शामिल होने के लिए प्रेरित किया, न केवल जब वह जीवित था, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद भी।
भगत सिंह के परिवार
भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर, 1 9 07 को पंजाब के खटकरकलन में एक सिख जाट परिवार में हुआ था। उनके पिता किशन सिंह, दादाद अजजन सिंह और चाचा अजीत सिंह भारतीय स्वतंत्रता के संघर्ष में सक्रिय रूप से शामिल थे। उनके परिवार के सदस्यों ने उन्हें बेहद प्रेरित किया और देशभक्ति की भावना शुरूआत से ही उसमें डाली गई। यह लग रहा था कि गुणवत्ता उसके खून में भाग गई थी
भगत सिंह के प्रारंभिक जीवन
भगत सिंह 1 9 16 में लाला लाजपत राय और रास बिहारी बोस जैसे राजनीतिक नेताओं से मुलाकात करते थे जब वह 9 वर्ष का था। सिंह उनके द्वारा बहुत प्रेरित थे। 1 9 1 9 में हुई जलियांवाला बाग हत्याकांड की वजह से भगत सिंह बेहद परेशान थे। दिन के नरसंहार के बाद, वह जलियांवाला बाग के पास गया और इस जगह से कुछ मिट्टी को एक स्मारिका के रूप में रखने के लिए एकत्र कर लिया। इस घटना ने ब्रिटिश को देश से बाहर धकेलने के लिए अपनी इच्छा को मजबूत किया।
लाला लाजपत राय के हत्या का बदला लेने का उनका संकल्प
जलियांवाला बाग नरसंहार के बाद, यह लाला लाजपत राय की मृत्यु थी जिसने भगत सिंह को गहराई से ले जाया था। वह अब किसी भी समय के ब्रिटिश क्रूरता को सहन नहीं कर सके और राय की मौत का बदला लेने का फैसला किया। इस दिशा में उनका पहला कदम ब्रिटिश अधिकारी को मारना था, सौंडर्स इसके बाद, उन्होंने विधानसभा सत्र के दौरान केंद्रीय विधानसभा के हॉल में बम फेंक दिया। बाद में उन्हें अपने कृत्यों के लिए गिरफ्तार कर लिया गया और अंततः 23 मार्च 1 9 31 को राजगुरु और सुखदेव के साथ लटका दिया गया।
निष्कर्ष
भगत सिंह 23 वर्ष पूरे हुए थे जब वह देश के लिए ख़ुशी से शहीद थे और युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई। उनके वीर कृष्ण आज भी युवाओं को प्रेरित करते हैं।
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Answer:
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सरदार भगतसिंह का नाम अमर शहीदों में सबस े प्रमु ख रू प स े लिय ा जाता है। भगतसिंह का जन् म 28 सितंबर, 1907 को पंजाब के जिला लायलपुर में बंगा गांव (जो अभी पाकिस्तान में है) के एक देशभक्त सिख परिवार में हुआ था,जिसका अनुकूल प्रभाव उन पर पड़ा था। उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था।
यह एक सिख परिवार था जिसने आर्य समाज के विचार को अपना लिया था। उनके परिवार पर आर्य समाज व महर्षि दयानन्द की विचारधारा का गहरा प्रभाव था। भगत सिंह के जन्म के समय उनके पिता 'सरदार किशन सिंह' एवं उनके दो चाचा 'अजीतसिंह' तथा 'स्वर्णसिंह'अंग्रेजों के खिलाफ होने के कारण जेल में बंद थे। जिस दिन भगतसिंह पैदा हुए उनके पिता एवं चाचा को जेल से रिहा किया गया। इस शुभ घड़ी के अवसर पर भगतसिंह के घर में खुशी और भी बढ़ गई थी।
भगतसिंह के जन्म के बाद उनकी दादी ने उनका नाम 'भागो वाला'रखा था। जिसका मतलब होता है 'अच्छे भाग्य वाला'। बाद में उन्हें 'भगतसिंह' कहा जाने लगा। वह 14 वर्ष की आयु से ही पंजाब की क्रांतिकारी संस्थाओं में कार्य करने लगे थे। डी.ए.वी. स्कूल से उन्होंने नौवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। 1923 में इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के बाद उन्हें विवाह बंधन में बांधने की तैयारियां होने लगी तो वह लाहौर से भागकर कानपुर आ गए। फिर देश की आजादी के संघर्ष में ऐसे रमें कि पूरा जीवन ही देश को समर्पित कर दिया। भगतसिंह ने देश की आजादी के लिए जिस साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुकाबला किया,वह युवकों के लिए हमेशा ही एक बहुत बड़ा आदर्श बना रहेगा।
भगतसिंह को हिन्दी,उर्दू,पंजाबी तथा अंग्रेजी के अलावा बांग्ला भी आती थी जो उन्होंने बटुकेश्वर दत्त से सीखी थी। जेल के दिनों में उनके लिखे खतों व लेखों से उनके विचारों का अंदाजा लगता है। उन्होंने भारतीय समाज में भाषा,जाति उन्होंने समाज के कमजोर वर्ग पर किसी भारतीय के प्रहार को भी उसी सख्ती से सोचा जितना कि किसी अंग्रेज के द्वारा किए गए अत्याचार को। उनका विश्वास था कि उनकी शहादत से भारतीय जनता और उग्र हो जाएगी,लेकिन जबतक वह जिंदा रहेंगे ऐसा नहीं हो पाएगा। इसी कारण उन्होंने मौत की सजा सुनाने के बाद भी माफीनामा लिखने से साफ मना कर दिया था।
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