Essay on Bharat ki anekta mein ekta in 1000 words
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अनेकता में एकता
भूमिका- हमारे देश का नाम भारत है । इस देश में रहने वाले हम सब भारतीय हैं । हमारे देश में अनेक धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं । सब धर्मों के अपने- अपने सिद्धान्त हैं । किन्तु सब धर्मों का लक्ष्य ईश्वर प्राप्ति तथा आत्मिक शान्ति एक है । इसे हम यों कहें कि राहें अलग- अलग हैं, किन्तु मंजिल एक है । इस कथन से यह पूरी तरह स्पष्ट हो जाता है कि हमारे भारत देश में अनेकता में भी एकता है । अथवा हम या कहें- कि हम सब भारतीय अनेक प्रकार के फूल हैं पर बाग जिसे हम भारत की संज्ञा देते हैं, वह तो एक है ।
प्रान्त- हमारे भारत देश में कश्मीर, पंजाब, उड़ीसा, बंगाल, हिमाचल, हरियाणा, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र तथा अरुणाचल अनेक प्रान्त हैं । ये सब प्रान्त एक माला के फूल हैं किन्तु माला जिसे हम भारत की संज्ञा देते हैं, वह तो एक है ।
भाषा- हमारे देश में हिन्दी, उर्दू उड़िया, बंगला, पंजाबी, गुजराती, तमिल, तेलुगु मलयालम, कन्नड, असमिया, मराठी आदि अनेकों भाषाएं बोली जाती हैं । ये सारी भाषाएं हमारे भावों को एक-दूसरे तक पहुँचाती हैं, किन्तु भावना सब की एक है । इसलिए हम सब भारतवासी हैं और हमारा देश भारत एक है ।
खान-पान- हम सब भारतीयों का खान-पान, रहन-सहन तरह-तरह का है और एक-दूसरे से भिन्न है । हमारी खुशियां, मेले, उत्सव, त्योहार, पर्व सब तरह-तरह के हैं । इतना ही नहीं, हम सब की वेश- भूषा भी एक-दूसरे से भिन्न है अर्थात् जुदा- जुदा है, पर हम सब में आत्मा तो एक है ।
अनेक धर्मों के लोग- हमारे भारत देश में हिन्दू, सिख, ईसाई, मुस्लिम, जैनी, पारसी आदि अनेक जातियों के लोग रहते हैं । हम सब एक-दूसरे से प्रेम भाव से मिलते हैं और परस्पर सभी सहयोग से रहते हैं । एक-दूसरे के सुख-दुःख साझे हैं । हम सब भारत मां की आंखों के तारे हैं । हम सबसे दर्शन-शास्त्र, धर्म जुदा-जुदा हैं किन्तु हम सब मानव हैं । इसलिए हम सब में मानवता एक है । हम सब भारतीय हैं और हम सब का देश भारत एक है ।
उपसंहार- हमारे इस देश में छल- छल करती हुई नदियां बहती हैं । अनेक प्रकार के पक्षी चहचहाते हैं । याद रहे कि अनेक रूप हो जाने से देश कभी बंट नहीं जाया करता । हमारी वेश-भूषा (खान-पान), रहन-सहन, भाषा, धर्मशास्त्र सिद्धान्त जुदा-जुदा हैं, पर देश तो हमारा भारत एक है । इससे स्पष्ट है कि हमारे भारत देश में अनेकता में भी एकता है ।
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अनेकता में एकता
भूमिका- हमारे देश का नाम भारत है । इस देश में रहने वाले हम सब भारतीय हैं । हमारे देश में अनेक धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं । सब धर्मों के अपने- अपने सिद्धान्त हैं । किन्तु सब धर्मों का लक्ष्य ईश्वर प्राप्ति तथा आत्मिक शान्ति एक है । इसे हम यों कहें कि राहें अलग- अलग हैं, किन्तु मंजिल एक है । इस कथन से यह पूरी तरह स्पष्ट हो जाता है कि हमारे भारत देश में अनेकता में भी एकता है । अथवा हम या कहें- कि हम सब भारतीय अनेक प्रकार के फूल हैं पर बाग जिसे हम भारत की संज्ञा देते हैं, वह तो एक है ।
प्रान्त- हमारे भारत देश में कश्मीर, पंजाब, उड़ीसा, बंगाल, हिमाचल, हरियाणा, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र तथा अरुणाचल अनेक प्रान्त हैं । ये सब प्रान्त एक माला के फूल हैं किन्तु माला जिसे हम भारत की संज्ञा देते हैं, वह तो एक है ।
भाषा- हमारे देश में हिन्दी, उर्दू उड़िया, बंगला, पंजाबी, गुजराती, तमिल, तेलुगु मलयालम, कन्नड, असमिया, मराठी आदि अनेकों भाषाएं बोली जाती हैं । ये सारी भाषाएं हमारे भावों को एक-दूसरे तक पहुँचाती हैं, किन्तु भावना सब की एक है । इसलिए हम सब भारतवासी हैं और हमारा देश भारत एक है ।
खान-पान- हम सब भारतीयों का खान-पान, रहन-सहन तरह-तरह का है और एक-दूसरे से भिन्न है । हमारी खुशियां, मेले, उत्सव, त्योहार, पर्व सब तरह-तरह के हैं । इतना ही नहीं, हम सब की वेश- भूषा भी एक-दूसरे से भिन्न है अर्थात् जुदा- जुदा है, पर हम सब में आत्मा तो एक है ।
अनेक धर्मों के लोग- हमारे भारत देश में हिन्दू, सिख, ईसाई, मुस्लिम, जैनी, पारसी आदि अनेक जातियों के लोग रहते हैं । हम सब एक-दूसरे से प्रेम भाव से मिलते हैं और परस्पर सभी सहयोग से रहते हैं । एक-दूसरे के सुख-दुःख साझे हैं । हम सब भारत मां की आंखों के तारे हैं । हम सबसे दर्शन-शास्त्र, धर्म जुदा-जुदा हैं किन्तु हम सब मानव हैं । इसलिए हम सब में मानवता एक है । हम सब भारतीय हैं और हम सब का देश भारत एक है ।
उपसंहार- हमारे इस देश में छल- छल करती हुई नदियां बहती हैं । अनेक प्रकार के पक्षी चहचहाते हैं । याद रहे कि अनेक रूप हो जाने से देश कभी बंट नहीं जाया करता । हमारी वेश-भूषा (खान-पान), रहन-सहन, भाषा, धर्मशास्त्र सिद्धान्त जुदा-जुदा हैं, पर देश तो हमारा भारत एक है । इससे स्पष्ट है कि हमारे भारत देश में अनेकता में भी एकता है ।
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भारत में “अनेकता में एकता” इसकी मूल पहचान है और यह भारतीय संस्कृति और परंपरा को सबसे अलग एवं समृद्ध बनाने में मद्द करती है। ... भारत के लोगों की सोच, उनका आचरण, व्यवहार, चरित्र, उनके मानवीय गुण, आपसी प्रेम, संस्कार, कर्म आदि भारत की विविधता को एकता को बनाए रखने में मद्द करते हैं।
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