Essay on corruption and black money in hindi
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वर्तमान समय में रुपए का मूल्य बहुत कम हो गया है अर्थात् रुपए की क्रयशक्ति का अत्यधिक ह्रास हुआ है । यदि सरकार के पास समुचित सोना सुरक्षित भंडार में न हो तो इसका अर्थ है कागजी मुद्रा में वृद्धि होना तथा मुद्रा के मूल्य में कमी होना ।
यही मुद्रास्फीति की स्थिति है । अन्य निर्णयकारी कारण पेपर मुद्रा के निर्णय तथा उपभोक्ता वस्तुओं के समुचित औसत तथा एक दूसरे के समान अनुपात में रहना है। इसके अतिरिक्त एक उत्तेजक कारण काले धन का अस्तित्व है जो एक समानान्तर अर्थ व्यवस्था को पैदा करता है तथा प्रत्यक्ष रूप से तीन कारणों को सम्मिलित रूप से पहुँचाता है ।
अत्यधिक व्यक्तिगत कर आय कर के रूप में, सम्पत्ति कर के रूप में, सम्पत्ति लाभ कर के रूप में तथा उपहार कर के रूप में लगाया जाता है, जिसके बारे में करविज्ञ इस बात का आश्वासन देते हैं कि इस प्रकार के आय-करदाता को अप्रत्यक्ष रूप से वित्तीय घेरे में ले लिया जाता है । अन्य कारण देश में विकास के कारण उपभोक्ता वस्तुओं तथा उत्पादक वस्तुओं में कमी होती है ।काला अर्थात् गैर कानूनी धन जीवन का एक ध्रुव सत्य बन चुका है । यह एक अच्छी बात केवल तब तक ही है जब तक कि यह धन छिपे हुए खजानों तथा तालों में पड़ा रहता है तथा वितरण, प्रसारण से यह धन बाहर ही रहता है, क्योकि यह उस धन की मात्रा को कम कर देता है जोकि मूल्यों के साथ आँख मिचौली खेलता है ।
काले धन का व्यापार में प्रयोग न किया जाना तथा धन को केवल जोड़कर, छिपाकर रखना एक अच्छा आर्थिक विकास है, क्योंकि यह इस प्रकार धन की मात्रा में कमी करके मुद्रा स्फीति को नियंत्रण में रखता है । लेकिन जिस व्यक्ति के पास काला धन होता है वह उसका प्रयोग करना भी जानता है ।
वह जानता है कि जीवन छोटा है इसलिए जीवन के प्रत्येक क्षण को जिया जाना चाहिए । इसलिए वह अपने घर का विस्तार करता है, घर में बड़े शानो-शौकत एवं ऐय्याशी के साथ रहता है, शादी तथा अन्य उत्सवों पर धन पानी की तरह बहाता है अथवा सोना तथा ऐसे कीमती पत्थर, हीरे-जवाहरात खरीदता है, जिन्हें पास रखने में आसानी होती है ।
काले धन के स्वामी तथा नियन्त्रक काले धन को स्थानीय तथा संसदीय निर्वाचनों में व्यय करने के लिए बचा कर रखते हैं, इसे वह एक प्रकार से उम्मीदवार के ऊपर किया गया अर्थविनियोग समझते है जो बाद में उनके लिए लाभकारी सिद्ध होता है । वे इस बात से अच्छी तरह परिचित होते हैं कि यह अर्थविनियोग एक लम्बे समय का धन स्रोत संयोजन है और इसे वह उम्मीदवार पर उचित समय में प्रयोग करके उससे लाभ उठाते हैं ।
करगत आय से प्रत्यक्ष, स्पष्ट, उत्कृष्ट उपभोग सम्भव नही हैं और इस बात से सभी परिचित भी हैं । लेकिन काले धन को रोशनी, उत्सवों, भोजों पर खर्च करके, आयातित कारों को खरीद कर तथा घर का विस्तार करने के यह सब साधन काले धन को सफेद धन में परिवर्तित करने के तरीके हैं ।
जब भी विमुद्रीकरण की बात उठाई जाती है तब बहुत से जमाखोरों को इन समाचारों की जानकारी समय से पहले ही लग जाती है और फिर से मुद्रास्फीति का एक नया चक्र प्रारंभ हो जाता है । आज हमारे देश में काले धन के रूप में संचित बहुमूल्य वस्तुएं, सोना बहुमूल्य हीरे-जवाहरात, ऐश्वर्य पूर्ण सुविधाओं से सम्पन्न घर आदि पाए जाते है । आवश्यक रूप से कुछ सीमा तक व्यापक मुद्रास्फीति का कारण अवरोधक के भयवश वितरित मुद्रा है तथापि अत्यधिक रूप से यह वित्त मंत्रालय के द्वारा मुद्रा संचालन, प्रसारण में बढ़ोतरी के कारण होता है ।
यदि प्रत्यक्ष करों का बोझ कम कर दिया जाए तो काले धन के संग्रह में स्वयंमेव कमी आ जाएगी । इसके साथ ही वस्तुओं का उत्पादन विभिन्न अवरोधों को समाप्त करने के परिणाम स्वरूप बढ़ेगा । ये तभी संभव है जब हम अपनी प्रत्येक नियंत्रित वस्तुओं के दोहरे मूल्य स्तर को समाप्त कर देंगे ।
सामान्य रूप से उन उत्प्रेरणाओं को समाप्त किए बिना काले धन की बुराईयों के बारे में अवगत करना, केवल समय का नाश भी होगा । काले धन के जमाखोरों को दिखाए गए, डर तथा अन्य निर्देश केवल उत्तरोत्तर मुद्रास्फीति में परिणत हो जाएंगे ।
इस बुराई को नियंत्रित करने के लिए, काले धन के जमाखोरों को एक प्रकार से प्रतिफल क्षतिपूर्ति ऋण देकर छिपी हुई मुद्रा को दोबारा से बैंक में डालकर मुद्रा-स्फीति को बढ़ाने की अपेक्षा अर्थव्यवस्था में सकारात्मक साधन के रूप में प्रयोग किया जा सकता है ।